हर गवाह, हर मुद्दआइलेह और हर मुलाज़िमके नाम समन जारी करनेके लिए -) बतौर तलवाने के लिया जाता है। यह -) उस चौकीदारको दिया जाता है जो समनकी तामील करता है। चौकीदार यदि न मिल सके तो कोई भी आदमी समन ले जा सकता है।
नालिश या मुक़द्दमा दायर करनेके लिए पञ्चायतके सरपंचके सामने हाज़िर होकर तहरीरी या ज़बानी दरख़ास्त देनी पड़ती है और और फ़ीस अदा करनी पड़ती है। फ़ीस अदा की जानेपर उसकी रसीद मिलती है। सरपंच नालिश या दावेको पञ्चायतके रजिस्टरमें दर्ज कर लेता है और बता देता है कि कब, किस वक्त, दरख़ास्त सुनी जायगी। वक्त मुक़र्ररपर पञ्च इकट्ठे होते हैं। कमसे कम तीन पंच इकट्ठे हो जानेपर दरख़ास्तपर विचार किया जाता है। उस वक्त दरख़ास्त देनेवाला भी हाज़िर रहता है। यदि पञ्चोंने समझा कि नालिश या दावा ठीक नहीं तो वह उसी वक्त ख़ारिज कर दिया जाता है। ठीक होनेकी हालतमें मुद्दआइलेह या मुलजिमके नाम समन निकाले जाते हैं, पेशीकी तारीख़ मुक़र्रर की जाती है और मुद्दई या मुस्तग़ीसको उसकी इत्तिला दी जाती है।
पञ्चायत गवाहोंको भी तलब कर सकती है और दस्तावेज़ वग़ैरह पेश करनेके लिए भी लोगोंको तलब कर सकतो है।
अगर कोई मुलज़िम या मुद्दआइलेह, समन जारी होनेके वक्त पञ्चायतके हलकेके बाहर हो तो समन ज़िलेके हाकिम या पञ्चायत अफ़सरके पास भेज दिया जाता है। वह उसे अपनीही अदालतका समन समझकर उसकी तामील करा देता है।