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लेखाञ्जलि

इतने महत्त्वके कामके लिए कुछ दान करें? कार्य चल निकलने और सङ्गठनका कुछ फल भी दृष्टिगोचर होनेसे सङ्गठित सभाओंके किसान भी दो-दो चार-चार आनेसे सहायता कर सकेंगे। अकाल और बाढ़से पीड़ितोंके लिए, धर्म्माशालाएं और मठ-मन्दिर बनानेके लिए, स्कूल और कालेज खोलनेके लिए क्या लोग चन्दा नहीं देते? इन कामोंसे बहुत ही थोड़े आदमियोंको लाभ पहुँचता है; किसानोंका सङ्गठन हो जानेसे ३/४ प्रान्तनिवासियोंको लाभ पहुँच सकेगा। यदि दस-बीस भी उत्साही, कार्यकुशल, देशभक्त और परोपकार-रत पुरुष आगे बढ़ें और इस कामका आरम्भ अच्छे ढङ्गसे कर दें तो धीरे-धीरे काफ़ी रुपया एकत्र हो जाना और होते रहना असम्भव नहीं। धन-प्राप्ति दुर्लभ नहीं। दुर्लभ हैं सुयोग्य कार्य्यकर्त्ता। भगवान् उनको सुलभ कर दे!

[दिसम्बर १९२४]