पृष्ठ:वयं रक्षामः.djvu/२९

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मन्वन्तर मिलते हैं । इतने ही आधार को लेकर, जिसमें जो घटनाएँ वर्णित हैं , उनका पूर्वापर सम्बन्ध मिलाकर मैं उसी के आधार पर यह काल -गणना कर रहा हूं । __ ईसा से कोई चार हज़ार वर्ष पूर्व भारतवर्ष के मूल पुरुष स्वायंभुव मनु उत्पन्न हुए । इनकी तीन पुत्रियां तथा दो पुत्र हुए । पुत्रों के नाम प्रियव्रत और उत्तानपाद थे। प्रियव्रत के दस पुत्र हुए । इन्हें प्रियव्रत ने पृथ्वी बाँट दी । ज्येष्ठ पुत्र अग्नीध्र को उसने जम्बूद्वीप ( एशिया ) दिया । इसे उसने अपने नौ पुत्रों में बांट दिया । बड़े पुत्र नाभि को हिमवर्ष-हिमालय से अरब समुद्र तक देश मिला । नाभि के पुत्र महाज्ञानी -सर्वत्यागी ऋषभदेव हुए । ऋषभदेव के पुत्र महाप्रतापी भरत हुए -जिन्होंने अष्टद्वीप जय किए और अपने राज्य को नौ भागों में बांटा । इन्हीं के नाम पर हिमवर्ष का नाम भारत , भारतवर्ष या भरतखण्ड प्रसिद्ध हुआ । इसके अनन्तर इस प्रियव्रत शाखा में पैंतीस प्रजापति और चार मनु हुए । चारों मनुओं के नाम स्वारोचिष, उत्तम , तामस और रैवत थे। इन मनुओं के राज्यकाल को मन्वन्तर माना गया । चाक्षुषा रैवत मन्वन्तर की समाप्ति पर छत्तीसवां प्रजापति और छठा मनु , स्वायंभुव मनु के दूसरे पुत्र उत्तानपाद की शाखा में चाक्षुष नाम से हुआ । इस शाखा में ध्रुव, चाक्षुष मनु, वेन , पृथु, प्रचेतस आदि प्रसिद्ध प्रजापति हुए । इसी चाक्षुष मन्वन्तर में बड़ी - बड़ी घटनाएँ हुईं । भरत वंश का विस्तार हुआ । राजा की मर्यादा स्थापित हुई । वेदोदय हुआ । इस वंश का प्रथम राजा वेन था । इस वंश का पृथु वैन्य प्रथम वेदर्षि था । उसने सबसे प्रथम वैदिक मन्त्र रचे। अगम भूमि को समतल किया गया । उसमें बीज बोया गया । इसी के नाम पर भूमि का पृथ्वी नाम विख्यात हुआ । इसी वंश के राजा प्रचेतस ने बहुत - से जंगलों को जलाकर उन्हें खेती के योग्य बनाया । जंगल साफ कर नई भूमि निकाली । कृषि का विकास किया । इन छहों मनुओं के काल का समय - जो लगभग तेरह सौ वर्ष का काल है - सतयुग के नाम से प्रसिद्ध है । मन्वन्तर - काल में वह प्रसिद्ध प्रलय हुई जबकि काश्यप सागर तट की सारी पृथ्वी जल में डूब गई। केवल मनु अपने कुछ परिजनों के साथ जीवित बचा । सतयुग को ऐतिहासिक दृष्टि से दो भागों में विभक्त किया जाता है - एक प्रियव्रत शाखा - काल , जिसमें पैंतीस प्रजापति और पाँच मनु हुए । दूसरा उत्तानपाद शाखा- काल , जिसमें चाक्षुष मन्वन्तर में दस प्रजापति और राजा हुए । ___ सांस्कृतिक दृष्टि से भी इस काल के दो भाग किए जाते हैं । एक प्राग्वेद काल उन्तालीसवें प्रजापति तक ; दूसरा वेदोदय काल - इसके बाद। भूमि का बंटवारा , महाजलप्रलय, वैकुण्ड का निर्माण, भूसंस्कार, कृषि , राज्य -स्थापना वेदोदय तथा भारत और पर्शिया में भरतों की विजय इस काल की बड़ी - बड़ी सांस्कृतिक और राजनीतिक घटनाएं हैं । वेदोदय चाक्षुष मन्वन्तर की सबसे बड़ी सांस्कृतिक घटना है। सबसे बड़ी ऐतिहासिक घटना पर्शिया पर आक्रमण भी इसी युग की है । ___ चाक्षुष मनु के पांच पुत्र थे। अत्यराति , जानन्तपति , अभिमन्यु उर, पुर और तपोरत । उर के द्वितीय पुत्र अंगिरा थे। इन छहों वीरों ने पर्शिया पर आक्रमण किया था । उस काल में पर्शिया का साम्राज्य चार खण्डों में विभक्त था , जिनके नाम सुग्द , मरु, वरवधी और निशा थे। पीछे हरयू (हिरात ) और वक्रित ( काबुल ) भी इसी राज्य में मिल गए थे। यहाँ पर प्रियव्रत शाखा के स्वारोचिष मनु के वंशज राज्य कर रहे थे। जानन्तपति महाराज अत्यराति चक्रवर्ती कहे जाते थे। आसमुद्र क्षितीश थे। भारतवर्ष की सीमा के अन्तिम प्रदेश