पृष्ठ:वयं रक्षामः.djvu/३०

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और पर्शिया का पूर्वी प्रान्त जो सत्यगिदी के नाम से विख्यात है, उस समय सत्यलोक कहाता था । उसी के सामने सुमेरु के निकट वैकुण्ठधाम था , जो देमाबन्द - एलबुर्ज पर्वत पर अभी तक ‘इरानियन पराडाइस के नाम से प्रसिद्ध है। देमाबन्द तपोरिया प्रान्त में है। इसी प्रान्त के तपसी विकुण्ठा और उसके पुत्र वैकुण्ठ थे। वैकुण्ठधाम उन्हीं की राजधानी थी । चक्रवर्ती महाराज अन्यराति जानन्तपति के दूसरे भाई का नाम मन्यु या अभिमन्यु था । प्राचीन पर्शियन इतिहास में उन्हें मैन्यु और ग्रीक में मैमनन कहा गया है। अर्जनेम में अभिमन्यु ( Aphumon ) दुर्ग के निर्माता तथा ट्राय - युद्ध के विजेता यही अभिमन्यु हैं । प्रसिद्ध पुराण- काव्य ‘ ओडेसी में इन्हीं अभिमन्यु महाराज की प्रशस्ति वर्णन की गई है । इन्होंने ही सुषा नाम की नगरी बसाई, जो सारे संसार में प्राचीनतम नगरी थी । इसका नाम मन्युपुरी था । अत्यराति के तृतीय भाई उर थे। इन्होंने अफ्रीका, सीरिया , बैबीलोनिया आदि देशों को जीता और ईसा से 2000 वर्ष पूर्व इन्हीं के वंशधरों ने अब्राहम को पददलित कर पूर्वीमिस्र में अपना राज्य स्थापित किया । इस कथा का संकेत ईसाइयों के पुराने अहदनामे में मिलता है । आज भी उर बैबीलोनिया का एक प्रदेश है । प्रसिद्ध उर्वशी अप्सरा इसी उर प्रदेश की थी । ईरान के एक पर्वत का नाम भी उरल है । उरफाउरगंज नगर है। उसका उरखेगल प्रदेश है । उरमिया प्रदेश भी है, जहां जोरास्टर का जन्म हुआ था । अफ्रीका में भी एक प्रान्त रायो डि - ओरो है । उर - वंशियों के ईरान में उर , पुर और वन - ये तीन राज्य स्थापित हुए । उर के दूसरे भाई पुर थे। अब भी एलबुर्ज के निकट इनकी राजधानी पुरसिया है । इन्हीं के नाम पर ईरान का नाम पर्शिया पड़ा । पुर और उर के भाई तपोरत थे। इन्होंने तपोरत नाम से अपना राज्य स्थापित किया जो अब तपोरिया प्रान्त कहाता है। वहां के निवासी अब तपोरत कहाते हैं । इस प्रदेश में वैकुण्ठ है, जो देमाबन्द पर्वत पर है। तपसी वैकुण्ठधाम थी । तपोरत के राजा आगे देमाबन्द कहाने लगे , जिन्हें हम देवराज कहते हैं । आजकल इस तपोरिया भूमि को मजांदिरन कहते हैं । जानन्तपति अत्यराति के वंशज अर्राट हैं । आरमेनिया इनका प्रान्त है। अर्राटों ने आगे असुरों से भारी -भारी युद्ध किए हैं । अर्राट पर्वत भी अत्यराति के नाम पर ही है । सीरिया का नागर अत्यरात ( Adhrot ) भी इन्हीं के नाम पर है । ___ उर के पुत्र अंगिरा थे, जिन्होंने अफ्रीका को जय किया । अंगिरा -पिक्यूना के निर्माता और विजेता यही थे। अंगिरा और मन्यु की विजयों -युद्धों और अभियानों के वर्णनों से ईरानी -हिब्रू धर्मग्रन्थ भरे पड़े हैं । इन छहों भरतों ने ईरान पर इतना उग्र आक्रमण किया था कि वहां के सब जन और शासक उनसे अभिभूत हो गए । उनके सर्वग्राही और भयानक आक्रमण से पददलित होकर वे उन्हें अहित देव - दु: खदायी अहरिमन और शैतान कहकर पुकारने लगे। अवेस्ता में अंगिरामन्यु - अहरिमन कहा गया है । बाइबिल में उन्हें शैतान कहा गया है । मिल्टन के ‘ स्वर्ग -नाश की कथा में इसी विजेता को शैतान कहा गया है। पाश्चात्य देशों के पुराण इतिहास इन्हीं छह विजेताओं की दिग्विजय के वर्णनों से भरे हुए हैं । पाश्चात्य पुराण साहित्य में इन्हें विकराल देव और सैटानिक होस्ट का अधिनायक कहा गया है । ये छहों अमर अनहितदेव की भांति ईरान के प्राचीन उपास्यदेव हो गए थे। इन्हीं की विजय - गाथा मिल्टन ने चालीस वर्ष तक गाई है । पाश्चात्य इतिहास - वेत्ता इस आक्रमण का काल ईसा से