अग्नि भी आठ वस्तुओं में एक था । उसका पृथक् अग्निवंश चला। सांध्य के पुत्र हंस संभवत : जर्मन हैं । हयतालों का राज ईरान में था । धर के पुत्र रुद्र के उत्तराधिकारी मरुत् गण हिरात आदि देशों के निवासी थे। आज भी ईरान का ‘यमथल स्थान यम की स्मृति नई करता है। ईरानी इतिहास में यमशिद का नाम विख्यात है। ईरानी लोग उसी नाम पर अपने नाम ‘ जमशेद रखते हैं , यमशिद की पूजा करते हैं । प्रसिद्ध है कि यमी ने यम से विवाह करने की याचना की थी , जिसे यम ने अस्वीकार कर दिया था । दैत्य - कुल में भाई- बहन , माता - पुत्र में विवाह का प्रचलन था । देवकुल में भी वैयक्तिक विवाह का रिवाज न था । सारी जीवन - प्रणाली सामूहिक थी । सम्पत्ति भी सामूहिक थी । इसलिए यौन सम्बन्ध भी यौथ थे। यह वास्तव में वेश्यावृत्ति न थी , क्योंकि शरीर का क्रेता और विक्रेता कोई न था । यौन सम्बन्ध पर कोई रोक -टोक न थी । जहां पुरुष के लिए भगिनी - गमन और मातृ- गमन भी कोई दोषपूर्ण नहीं माना जाता था , वहां स्त्री के लिए भ्रातृ- गमन और पितृ - गमन में भी कोई दोष न था । उस युग में एक गर्भ से उत्पन्न होने वाली संतान अपने को भाई- बहन करके न जान सकती थीं । औरस से उत्पन्न भाई-बहनों का आपस में किसी प्रकार का यौन सम्बन्ध नहीं हो सकता था । पर यह कोई जान ही न सकता था कि कौन किस औरस से उत्पन्न है । यही कारण था कि संतान का परिचय मां के नाम अथवा कुल से होता था । उस युग में देवों और दैत्यों में कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति का पिता हो सकता था । यों कहना चाहिए कि एक ग्राम के सब लोग पिता कहे जा सकते थे। भगिनी -गमन बाद तक भी जायज़ रहा । शनि का दूसरा नाम श्रुतिकर्मा भी था । उसे यूनान देश का राज्य मिला । यूनान का हैलीओडे राज्यवंश शनि ही के खानदान में था । सूर्य की चार राजधानियां थीं : आदित्य नगर, कश्यप नगर, इन्द्रवन और भ्रण्डार। उसने बेबीलोनिया , सीरिया और मिस्र को जय करके त्रिविक्रम की उपाधि पाई थी । आगे चलकर आदित्यों का यह कुल सारे ही संसार में व्याप गया जिसमें सबसे अधिक विस्तार सूर्य ही का हुआ । सीरिया -निवासी और अरब प्राचीन काल से सूर्य के उपासक हैं । पर्शिया के डेजर्ट के निवासी प्राचीन काल में ‘ आदित्य कहलाते थे। अदन में आद का विश्वविश्रुत मन्दिर था जो सोने - चांदी की ईंटों से बना था , और छत में मोती और रत्न जड़े थे। ‘ आद अरबी भाषा में सूरज ही को कहते हैं । ‘ आदम , जिसकी कथा बाइबल में है, सूर्य का ही नाम था । अरब या यारा भी अरबी भाषा के सूर्य ही के नाम हैं । अरबी में आद एक गोत्र भी है। संभव है , सूर्यवंशी अरब किसी प्राचीन बात को सूर्य के समान पुरातन कहा करते हों । अरब में एक खोट प्रान्त भी है । खोट सूर्य ही का नाम है। अदन का प्राचीन नाम आदित्यपुर था और यह सूर्य की एक राजधानी थी ।
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