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में अंकुश लिए, भीमकाय मदमत्त हाथियों को वश में करते हुए महावत साक्षात् वज्रपाणि इन्द्र की भांति प्रतीत होने लगे। बड़े- बड़े डील के सुभट अपना विकराल परशु कन्धे पर उठाए, मृत्यु को चुनौती देते - से आगे आए। रणवाद्यों के गम्भीर निनाद से लंका हिल उठी । अश्व -व्यूह उल्लास से हिनहिनाने तथा गजसमूह चिंघाड़ने लगा । शंखों का भैरवनाद, धनुषों की कर्णकट टंकार, तलवारों की झनझनाहट ने कानों को बहरा कर दिया । वीरों के पद- भार से कनक-लंका धरती में धंसने लगी ।