पृष्ठ:वयं रक्षामः.djvu/४०३

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बजाओ, उत्साह मनाओ और जय -जयकार करो ! " कनक लंका एक बार फिर वाद्यों की ध्वनि और जय - जयकारों से परिपूर्ण हो उठी ।