पृष्ठ:वयं रक्षामः.djvu/७८

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तू यह क्या अनर्थ करता है ! नगर के शान्त जीवन को अशान्त बनाता है! तुझे चिन्ता क्या है ? रहने को तेरे पास महालय है । धन - धान्य , दास -दासों का अभाव नहीं। खा - पी और मौज कर । हम यक्षों की यही संस्कृति है । यही नारा है - वयं यक्षाम : । रावण ने कहा - आप ज्येष्ठ हैं , पूज्य हैं , परन्तु हम आपसे सहमत नहीं हैं । खाना पीना , मौज करना जीवन का ध्रुव ध्येय नहीं। मेरा नारा है -‘ वयं रक्षाम : । हम प्रजापति के वंशधर हैं । एक ही पिता कश्यप से भिन्न -भिन्न माताओं से दैत्य , दानव , नाग , असुर और आदित्यों की उत्पति हुई । हम दायाद बान्धव हैं । मैं नहीं चाहता कि आदित्य , देव , दैत्य , दानव , नाग , असुर अपनी पृथक् जाति बनाएं , उनमें संघर्ष हो , युद्ध हो । मैं विश्व में नृजाति को एक ही संस्कृति के अधीन करना चाहता हूं और वह संस्कृति मेरी स्थापित की हुई रक्ष संस्कृति है। हम कहते हैं - वयं रक्षाम : और हमारी संयुक्त जाति है - राक्षस । “ परन्तु हम तो यक्ष हैं । हमारा नारा भी पृथक् है। हम तुमसे सहमत नहीं हैं । " आप मेरे ज्येष्ठ भ्राता हैं , पूज्य हैं , इसी से आपको छोड़ता हूं। नहीं तो मेरा एक यह भी नियम है कि हमसे हमारी रक्ष - संस्कृति से जो सहमत है, वह अभय । जो सहमत नहीं है, उसका उसी क्षण हम परशु से शिरच्छेद करते हैं ; जैसा कि हमने नागराज वज्रनाभा और दानवेन्द्र मकराक्ष का किया । " " तो आयुष्मान्! यह तो स्पष्ट युद्ध-निमन्त्रण है। मैंने तुझे इसलिए तो लंका में बुलाया नहीं है । " __ “ आपने मुझे लंका में बुलाकर अपनी ही मर्यादा की रक्षा कर ली । आप यदि ऐसा न करते तो मैं स्वयं आता - उसी प्रकार जैसे मैं अन्य द्वीपों में गया हूं। " “ समझ गया , आयुष्मान्, मुझसे युद्ध चाहता है। " । " नहीं , बस आप हमारी रक्ष- संस्कृति स्वीकार कर लें । " " परन्तु मैं यक्षपति, दिक्पाल धनेश कुबेर हूं। " " सो ठीक है, वह रहें । केवल आप कहिए – वयं रक्षाम : । " " नहीं , तुम्हीं कहो – वयं यक्षाम : । " “ वयं रक्षाम :। ” “ वयं यक्षामः। " " नहीं। " " नहीं। " “ तो आपकी सेवा में मेरा यह परशु है। ” रावण ने अपना विकराल परशु कुबेर के सम्मुख हवा में घुमाया । कुबेर ने भी अपना वज्र लेकर उसे वायु में घुमाकर कहा- “तुम्हारे इस परशु का जवाब मेरी यह गदा है। " ____ इसी समय सुमाली झपटता हुआ आकर दोनों क्रुद्ध सरदारों के बीच में खड़ा हो गया । उसने दोनों के शस्त्रों का निवारण करके कहा - “ ऐसा नहीं रक्षपति ! ऐसा नहीं यक्षपति ! " " तो फिर कैसा ? कुबेर ने कहा । " आप दोनों के बीच एक मर्यादा है। रावण आपका अनुज है छोटा भाई है। "