कई लोगोंका ऐसा आक्षेप रहता है कि बौद्ध धर्म के
तत्व वेदों में नहीं पाये जाते इसके उत्तर में हमारा निवेदन है
कि निस्सन्देह पाये जाते हैं जैसे-
बौद्ध धर्म का प्रथम सूत्र वा नियम आहसा है । इस
नियम का निम्न वेद मंत्रों में समावेश हो जाता है -(१)...
पशून पाहि यजु. अ; १ मं. १
( २ ) दृतेः..... मित्रस्याहं सर्वाणि भूतानी समीक्षे
मित्रस्य चक्षुषा समिक्षा महे--- यज़ अ ३६ मं १८
दृस। नियम सत्य है इसकी पुष्टि में निम्न वेद मंत्र
है --अग्ने जतपते....... भुमि य. अ. १ मंत्र ५
तीसंग नियम आरतेय है - यह मा धा कस्य स्विद्धनमू
यजु अ, ४० मंत्र १ से पष्ट होता है
चरा निम ब्रह्मचरई ई - द मंत्र में इसका
समावेश होता है --- ब्रह्मचर्येण कन्या युवान विन्दते पतिम्
अथर्व. का. १५ मंत्र १८ - ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमुपा-
प्रत अर्थव. का. ५१ मंत्र १९.
पांचवा नियम अपरिग्रह है इसलिये । तेन त्यक्तेन
भुजीया यजु. अ. ४० मं. १ है.
अतः यह सिद्ध हो सकता है कि बौद्ध नियम वेदमंत्रों
से भिन्न नहीं परन्तु उनके अनुकूल ही हैं और बौद्ध धर्म
वैदिक धर्म से उस समय भिन्न नहीं पर शाखारूप ही समझा
जाता था।