इस पुस्तक में एक स्थल पर ऐसा वर्णन आया है कि श्री हर्ष की माता को ऐसा स्वप्न आया कि तीन बालक उसके गर्भ में प्रविष्ट हुये, और स्वप्नानुसार उसने तीन ही बालकों को जन्म दिया। यह बात उसके मन की संकल्प शक्ति का बोधन कराती है। हमें याद होगा कि दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण बाबर ने अपने ज्येष्ठ पुत्र हुमायु की बीमारी हरली यो इसी प्रकार रानी के विचारों का प्रभाव उसकी भावी सन्तानों पर पड़ा; वह स्वप्न उसके मनके विचारों की प्रबलता बतलाता है और कुछ विशेष बात नहीं।
इसके उपरान्त एक दो स्थल पर शकुन और अपशकुन का वर्णन आता है। वास्तव में यह भी मन के शुभ अथवा अशुभ विचार है। इसी पुस्तक के एक उदाहरण से यह स्पष्ट हो जायगा। एक स्थलपर श्रीहर्ष को किसा ने स्वर्ण मुद्रा भेट दी। लेते समय वह उसके हाथ से गिर पड़ी। आसपास के लोगों ने इसे अप-कुन समझा किन्तु हर्षने कहा कि जिसप्रकार इस मुद्रा का आकार कीचड़ पर पड़ा है उसी प्रकार मेरी सत्ता का प्रभाव सबपर पड़ेगा। इससे यह सिद्ध है कि शकुन अपशकुन कुछ नहीं केवल भिन्न भिन्न लोगों के मानसिक विचारों से इन्हे बुरा भला बना लिया गया है।
ज़रूरत है कि इतिहास प्रेमी पाठक इस बालोपयोगी पुस्तक को पढ़े और अपने बालकों को पारितोषिक रूप में दें जिससे वह अपनी मातृभाषा में अपने राजाओं का गौरव पड़