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पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/१९१

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७९
श्री हर्ष
परिशिष्ट दूसरा

बंसखेर का ताम्रपत्र.

शाहजहांपुर से लगभग बारह कोस पर यह ताम्रपत्र बंसखर गांव में से १८९४ के सप्टेम्बर महीने में मिला था। यह १९ तसु (गिरह) लम्बा और १३ गिरह चौड़ा है। उसकी तिथि हर्ष संवत् २२ कि कार्तिक वद एक है। हर्ष संवत् ६०६ में आरम्भ होता है अर्थात् इस पत्र की तारीख इ० सं० ६२८ के अक्टोबर और नवेम्बर में पड़ती है। ताम्रपत्र में निम्न लिखा है। १ श्री स्वस्ति महानो हस्त्यश्वजयस्कन्धावाराच्छीवर्धमानकोट्या महाराज श्रीनरवर्धनस्तस्य पुत्रस्तत्पादानुध्यातश्रीव नणीदेव्यामुत्पन्नपरमादित्यभक्तो महाराज श्रीराज्यवर्धनस्तम्य पत्रस्तत्पदानु-

२ ध्यात श्रीमदप्सरोदेव्यामुत्पन्न परमादित्यभक्तो महाराजश्रीमदादित्यवर्धनस्तस्य पुत्रस्तत्पादानुध्यात श्रीमहासे[न] गुप्तादेव्यामुत्पन्नश्चतुस्समद्राति कान्त कीर्तिप्रतापानुरागोप-

३ नंतान्यराजो वर्णाश्रमव्यस्थापनप्रवृत्तचक्र एकचकस्थ इव प्रजानामार्तिहरपरमादित्यभक्त परमभट्टारकमहाराजाधिराजश्रीप्र[भा]कर[व]र्ध[न]स्तस्यपुत्रस्तत्पा[दा]--