पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/४१

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उनके देखते ही त्रिलोकी की रक्षा करने योग्य उससे एक वीर पैदा हुआ। उसी पुरुष से चालुक्यों का वंश चला। चालुक्यों का पहला पुरुष हारीत हुआ। इस वंश के राजा लोग पहले अयोध्या में, उसे अपनी राजधानी बनाकर, रहते थे[१]। उनमें से कई राजा, जिनकी विजय लालसा बड़ी प्रबल थी, विजय करते हुए दूर तक दक्षिण में चले गये। इसी वंश का भूषण तैलप[२]नाम का एक महा प्रतापी राजा हुआ। वह महावीर था। उसने पृथ्वी के कण्टकरूप राष्ट्रकूट के राजवर्ग को जड़ से उखाड़ डाला।


  1. शिलालेखों से विदित होता है कि अयोध्या और दूसरे नगरों में इस वंश के ५९ राजाओं ने राज्य किया।
  2. तैलप ने ९७३ से ९९७ तक राज्य किया। एशियाटिक सोसायटी के जरनल मे लिखा है कि इस राजा ने मालवा पर चढ़ाई की थी। यह बात भोजचरित में भी लिखी है और शिलालेखों में भी। शिलालेखों के अनुसार तैनप ने मालवा के राजा मुञ्ज को पकड़ कर मार डाला; परन्तु मुञ्ज के अनन्तर वहाँ के राजा भोज ने उसका बदला तैलप से लिया, अर्थात् उसे उसने युद्ध में मारा। बिल्हण ने तैलप का मालवा पर चढ़ाई करना नहीं लिखा और न उसके मारेजाने की सूचना ही दी। बिल्हण में यह बड़ा दोष है कि अपने चरितनायक के वे गुण ही गुण वर्णन करते हैं और चालुक्य-वंश के प्रतिपक्षियों के चरित का कोयले से भी काला रँगने में वे कसर नहीं करते।