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वदामि सौभाग्यगुणं किमस्य
यत्र स्थिते श्रीश्च सरस्वती च ।

विक्र०, सर्ग ६, पद्य १३७ ।

इस राजा के सौभाग्य की मैं कहाँ तक प्रशंसा करूँ, इसमें लक्ष्मी और सरस्वती दोनों का एकही साथ निवास है।

निसर्गभिन्नास्पददेकसंस्थ-
मस्मिन्द्वयं श्रीश्च सरस्वती च ।

रघुवंश, सर्ग ६, पद्य २६ ।

सदैव अलग अलग स्थानों में रहनेवाली लक्ष्मी और सरस्वती, दोनो, ने इस राजा में, अपने रहने के लिए, एक ही स्थान नियत किया है।

आसन्विलासत्रतदीक्षितानां
स्मरोपदिष्टानि विचेष्टितानि ।

विक्रः, सर्ग १२, पद्म २ ।

( राजा के पुरप्रवेश के समय) हाव-भावादि में कुशल स्त्रियों की काम प्रेरित अनेक चेष्टायें हुई।

बभूयुरित्थं पुरसुन्दरीणा
त्यक्तान्यकार्याणि विचेष्टितानि ।

रघुवंश, सर्ग ७, पद्य ५।