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विदेशी विद्वान्

बख्वाहद कि मानिन्दे शाहजहां,
व मानद बसे नामेऊ दर जहाँ ।

एक दिन शाह गुप्त रीति से शीश महल (Crystal palace) देखने गये। उनका सादा वेश देखकर लोगों ने उन्हें शाह का कोई नौकर समझा। पामर ने इस घटना का इस प्रकार वर्णन किया है- वादशाह से बजरिये मुतरजिम, जो फरासीसी ज़बॉ जानता था, पूछा कि तुमको बादशाह की सरकार मे कौन ओहदा है। बादशाह ने फरमाया-खिदमतगारे खास और मोतमदअलेह । और, चन्द हमराहियों ने कहा कि बादशाह इन पर बहुत एत- माद रखते हैं। सदहा महलका दुख्तराने फरंग ने इश्तियाक गर्म जोशी और लमसे अनामिल फैजशवामिल जाहिर किया। अक्सरो को आला हजरत ने सरफ़राज़ फरमाया ।

पामर से शाह की भेंट

फिर हाल इस बे-परोबाल का पूछा और फरमाया- "निजूद वया-कुजा फारसी ओ अरवी याद गिरफ़ती ?"

पामर-"फ़ारसी अज़ सैयद अब्दुल्ला व अरवी अज़ अरबों दर ई जा व हम दर अरवरफ़्ता आमोख़तम् ।"

फरमाया कि-"मन शनीदाअम तू शायरे फ़ारसी हस्ती ।"

पामर-"ई हेचमदाँ कम कम मीगोयद, न लायके समाअते वन्दगाने आला हज़रत ।"