जल उठे। वे लोग उसको खुल्लमखुल्ला गालियाँ देने लगे और उसका यहाँ तक द्वेष करने लगे कि रोम के प्रधान धर्म्मा- धिकारी पोप तक से उन्होंने उसकी शिकायत की।
१६१५ ईसवी में बाइबिल के प्रतिकूल मत प्रचलित करने के इलज़ाम पर पोप ने गैलीलियो पर अभियोग चलाया। उस समय धर्म के ग्रन्थो के प्रतिकूल यदि कोई कुछ भी कहता था तो उसे कडा दण्ड मिलता था। इसी बात पर ब्रूनो नामक एक विद्वान् जीता ही जला दिया गया था और अण्टोनियो डिडामिनस ६ वर्ष तक कारागार में रहकर वहीं मर गया था। इन्हीं कारणो से डरकर शायद गैलीलियो ने न्याया- धीश के आज्ञानुमार यह स्वीकार करके अपनी रक्षा की कि पृथ्वी के फिरने के विषय में मेरा मत ठीक नहीं। उससे इस प्रकार स्वीकार कराकर न्यायाधीश ने उसे छोड़ दिया और वह अत्यन्त दु:खित होकर अपने घर लौट आया।
गैलीलियो ने यद्यपि न्यायाधीश के सामने यह कह दिया कि मेरा मत ठीक नहीं; बाइबिल में जो कुछ लिखा है वही ठीक है, तथापि वह ग्रहों के विषय में ज्ञान प्राप्त करता ही रहा। १६२३ ईसवी में, रोम में, दूसरा पोप धर्माधिकारी हुआ। वह गैलीलियो का मित्र था; इसलिए उसे फिर धीरज आया और उसने एक ऐसी पुस्तक लिखी जिससे यह सिद्ध होता था कि प्राचीन मत की स्थापना करनेवाले मूर्ख थे। इस पुस्तक के निकलते ही लोगो ने फिर गैलीलियो की शिकायत