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विदेशी विद्वान्

परमेश्वर की कृपा से उनके सब यत्न सफल हुए। धन इकट्ठा करने के विषय मे मिस्टर वाशिगटन के नीचे लिखे अनुभव- सिद्ध, नियम बड़े काम के हैं―

(१) तुम अपने कार्य के विषय मे अनेक व्यक्तियों और संस्थाओं को अपना सारा हाल सुनाओ। यह हाल सुनाने मे तुम अपना गौरव समझो। तुम्हे अपने कार्य के विषय मे जो कुछ कहना हो संक्षेप मे और साफ़-साफ़ कहो।

(२) परिणास या फल के विषय मे निश्चिन्त रहो।

(३) इस सिद्धान्त पर विश्वास रक्खो कि संस्था का अन्तरङ्ग जितना हो स्वच्छ, पवित्र और उपयोगी होगा उतना ही अधिक उसको लोकाश्रय भी मिलेगा।

(४) श्रीमान् और ग़रीब दोने से सहायता माँँगो। सची सहानुभूति प्रकट करनेवाले सैकड़ों दाताओं के छोटे- छोटे दान पर ही परोपकार के बड़े-बड़े कार्य होते हैं।

(५) चन्दा इकट्ठा करते समय दाताओं की सहानुभूति, सहायता और उपदेश प्राप्त करने का यत्न करो।

इस प्रकार यत्न करने पर, टस्केजी-संस्था की उन्नति के लिए, अनेक श्रीमान् तथा साधारण लोगों ने गुप्त तथा प्रकट रीति से वाशिंगटन की सहायता की।

संस्था की उन्नति

आत्मावलम्बन और परिश्रम से धीरे-धीरे टस्केजी-संस्था की उन्नति होने लगी। सन् १८८१ में वाशिंगटन के पास