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बुकर टी० वाशिंगटन

अपनी संस्था के लिए थोड़ी सी ज़मीन, तीन इमारतें, एक शिक्षक और तीस विद्यार्थी थे। अब वहाँ १०६ इमारतें, २३५० एकड़ जमीन और १५०० जानवर हैं। कृषि के उपयोगी यन्त्रों और अन्य सामान की कीमत ३८, ८५, ६३९ रुपया है। वार्षिक आमदनी ९,००,००० रुपया है और कोष में ६,४५,००० रुपया जमा है। प्रतिवर्ष २,४०,००० रुपये खर्च होते हैं। यह रक़म घर-घर भिक्षा माँँगकर इकट्ठा की जाती है। इस समय संस्था की कुल जायदाद एक करोड़ से अधिक की है, जिसका प्रबन्ध पञ्चो द्वारा किया जाता है। शिक्षकों की संख्या १८० है। १६४५ विद्यार्थी ( १०६७ लड़के और ५७८ लड़कियाँ ) दर्ज रजिस्टर हैं। १००० एकड़ जमीन में विद्यार्थियों के श्रम से खेती होती है। मानसिक शिक्षा के साथ-साथ भिन्न-भिन्न चालीस व्यवसायों की शिक्षा दी जाती है। इस संस्था में शिक्षा पाकर लगभग ३००० आदसी दक्षिणी अमेरिका के भिन्न-भिन्न स्थानों मे स्वतन्त्र रीति से काम कर रहे हैं। ये लोग स्वय अपने प्रयत्न और उदा- हरण से अपनी जाति के हज़ारो लोगों को आधिभौतिक और आध्यात्मिक, धर्म और नीति-विषयक, शिक्षा दे रहे हैं। मिस्टर वाशिंगटन ने लिखा है कि―“संस्था की उपयोगिता उन लोगो पर अवलम्बित है जो यहाँ शिक्षा पाकर स्वतन्त्र रीति से समाज मे रहने लगते हैं।” इस नियम के अनुसार यह कहा जा सकता है कि वाशिंगटन की संस्था ने सफलता प्राप्त