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विदेशी विद्वान्

कर ली है। दक्षिणी अमेरिका के भिन्न-भिन्न स्थानों में, इस संस्था में शिक्षा पाये हुए लोगों की मॉग इतनी बढ़ गई है कि लोगों की आधी भी माँँग पूरी नहीं की जा सकती। अनेक विद्यार्थियों को, स्थान और द्रव्य के अभाव से, लौट जाना पड़ता है।

सफलता का रहस्य

वाशिंगटन को टस्केजी-संस्था का जीव या प्राण सम- झना चाहिए। आप ही के कारण इस संस्था ने सफलता प्राप्त की है। आप ही इस संस्था के प्रिंसपल हैं। आप पाठशाला में शिक्षक का काम भी करते हैं और संस्था की उन्नति के लिए गाँव-गाँव, शहर-शहर, भ्रमण करके धन भी इकट्ठा करते हैं। आपने इस संस्था का प्रबन्ध इतना उत्तम कर दिया है कि आपकी अनुपस्थिति मे भी सब काम नियमपूर्वक होते रहते हैं और इन सब कामो की रिपोर्ट उन्हे मिलती रहती है। उन्हें अपनी स्त्री से बहुत सहायता मिलती है। वे यह जानने के लिए सदा उत्सुक रहते हैं कि अपनी संस्था के विषय में कौन क्या कहता है। इससे सस्था के दोष मालूम हो जाते हैं और सुधार करने का मौक़ा मिल जाता है। आपकी सफलता का रहस्य आपके आन्तरिक उद्गारों से विदित हो सकता है। आप कहते हैं―

१―ईश्वर के राज्य में किसी व्यक्ति या जाति की सफलता की एक ही कसौटी है। वह यह कि सत्कार्य करने की प्रेरणा से प्रेरित होकर प्रयत्न करना चाहिए।