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हर्बर्ट स्पेन्सर

उसे आडम्बर बिलकुल पसन्द न था। इससे उसका ख़र्च भी कम था। जो कुछ उसे मिलता था उसी से वह सन्तुष्ट रहता था। यद्यपि अपनी पूर्वोक्त दोनों पुस्तके छपाने में उसका बहुत सा रुपया बरबाद हो गया तथापि उसने किसी से आर्थिक सहायता नहीं ली। कुछ उदार लोगों ने उसकी सहायता करना भी चाहा; पर उसने कृतज्ञतापूर्वक उसे लेने से इनकार कर दिया। पुस्तक प्रकाशन में स्पेन्सर की कोई १५,००० रुपये की हानि हुई। यह सुनकर अमेरिका के कुछ उदार लोगों ने उसे २२,५०० रुपये भेजे। परन्तु उसने यह रुपया भी लेना नहीं स्वीकार किया।

हर्बर्ट स्पेन्सर की सबसे प्रसिद्ध पुस्तक “सिस्टम आफ़ सेन्थैटिक फ़िलासफ़ी” (A System of Synthetic Philo- sophy ) अर्थात् संयोगात्मक-तत्त्वज्ञान-पद्धति है। १८६० ईसवी में उसे स्पेन्सर ने लिखना शुरू किया। बीच में उसे धन-सम्बन्धी और शरीर-सम्बन्धी यद्यपि अनेक विघ्न उपस्थित हुए तथापि ३६ वर्ष तक अविश्रान्त परिश्रम करके उसे उसने समाप्त ही करके छोड़ा। इस पुस्तक में उसने अपने सिद्धान्तों का प्रतिपादन बड़ी ही योग्यता से किया है। संसार में जो कुछ दृश्य अथवा अदृश्य है सबकी उपपत्ति उसने अपने उत्क्रान्ति मत के आधार पर सिद्ध कर दिखाई। इस प्रचण्ड पुस्तक को उसने पाँच भागों में विभक्त किया और दस जिल्दों में प्रकाशित कराया। उनका विवरण इस तरह है―