पृष्ठ:विनय पत्रिका.djvu/४३४

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परिशिष्ट इतने में महादेवकी समाधि टूटी और उन्होंने सामने कामदेवको पुष्प- बाण चढ़ाते हुए देखा । यह देखना ही था और उधर देवता अन्तरिक्षमें यह कहनेहीको थे कि 'प्रभो ! क्रोधको शान्त कीजिये, शान्त कीजिये कि इतनेमें शङ्करका तीसरा नेत्र खुला और कामदेव जलकर भस्म हो गया । तभीसे शिवका 'कामारि, मदनरिपु' आदि नाम पड़ा। ७-गुणनिधि-उद्धार- गुणनिधि नामका एक ब्राह्मण वडा चोर था । वह एक दिन किसी शिव-मन्दिरमें सोनेके घण्टेको चुरानेके लिये गया । घण्टा कुछ ऊँचे था और वह आसानीसे वहॉतक पहुंच न पाता था; इसलिये वह शिवलिङ्गपर चढ़ गया। इतनेमें भोलेबाबा वहाँ प्रकट हो गये और वोले-'वर मॉग, हम तुझपर अत्यन्त प्रसन्न हैं। तूने आज मुझपर अपना सब कुछ चढा दिया है । भगवान् शङ्करकी कृपासे गुणनिधि शिवलोकका अधिकारी हुआ। ____१०-हरिचरण-पूत-गंगा- एक बार विष्णुभगवान् वामनरूप धारणकर राजा बलिके द्वार गये और उससे उन्होंने तीन पग पृथ्वी दानमे मांगी तथा दानमें प्राप्त तीन पग पृथ्वी नापनेके लिये अपना विशाल ब्रह्माण्डव्यापी शरीर बनाया । उस समय ब्रह्माजीने भगवान्के उन चरणोंको धोकर अपने कमण्डलुमें रख लिया था, वही जल गङ्गाके प्रवाहके रूपमें अवतरित हुआ । इसी कारण गङ्गाको 'हरिचरण-पूत' कहा गया है। १२-पाथोधि-घटसंभव- समुद्रके किनारे एक जोड़ा टिटिहरीका रहता था। उनके अडे समुद्र बराबर बहा ले जाता था । संतान-वियोगसे एक वार