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परिशिष्ट
मेघनादने जव लक्ष्मणजीको शक्तिबाण मारा था तो वे मूछित
हो गये । उनकी मूर्छाको दूर करनेके लिये हनूमान्जी ही
धौलागिरिके साथ सञ्जीवनी-बूटी लाये थे और उस बूटीके द्वारा
मू से उठनेपर दूसरे ही दिन लक्ष्मणजीने मेघनादको मारा था,
इसी कारण श्रीहनुमानजी मेघनादके वधके कारण माने जाते हैं।
__कालनेमि-हंता---
यह रावणके पक्षका महाधूर्त राक्षस था । जब हनूमान्जी
लक्ष्मणजीकी मूर्छा हटानेके लिये सञ्जीवनी-बूटी लाने गये थे तो
रास्ते इसने साधुका वेष धारण कर उनको छलना चाहा ।
हनुमानजीको उसकी माया मालूम हो गयी और तुरत ही
उन्होंने उसको परलोक भेज दिया । इसीसे हनूमान्जी कालनेमि-
हन्ता कहलाते हैं।
२८-भीमार्जुन-च्यालसूदन-गर्वहर-
महाभारतमें कथा आती है कि पाण्डवोंके वनवासकालमें एक
दिन भीम अपने पराक्रमके मदमे मस्त हुए कहीं जा रहे थे। उनके
मार्गमें एक बड़ा भारी बंदर सोया हुआ मिला । भीमके गर्जनसे
उसकी आँखें खुल गयीं। भीमने उसे मार्गसे हट जानेके लिये
कहा । बंदरने उत्तर दिया-भाई ! मैं बूदा हो गया हूँ, तुम्ही
जरा मेरी पूँछको हटाकर चले जाओ ।' भीमके सारी शक्ति
लगानेपर भी वह पूँछ टस-से-मस नहीं हुई। पीछे जब उन्हें यह
मालूम हुआ कि यह कोई सामान्य बंदर नहीं है, बल्कि यह
महापराक्रमशाली हनूमान्जी हैं तो उन्होंने नतशिर हो उन्हें प्रणाम
किया । इस विषयकी एक दूसरी कथा और आती है कि एक बार
पृष्ठ:विनय पत्रिका.djvu/४४०
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