पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/११०

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६६-सेखिय' आर्याभो ! यह ( पचहत्तर ) सेखिय (= सोखने योग्य ) बातें कही जाती हैं- (१) चीवर पहिनना १–परिमंडल ( चारों ओरसे ढाँककर ) वस्त्र पहिनूंगी-यह शिक्षा ( ग्रहण ) करनी चाहिये। २—परिमंडल अोलूंगी। (२) गृहस्थोंके घरमें जाना, बैठना ३–(गृहस्थोंके) घरमें अच्छी तरह (शरीरको) आच्छादित करके जाऊँगो-०। ४-घरमें अच्छी तरह ( शरीरको ) आच्छादित करके बैलूंगी-। ५-घरमें अच्छी तरह संयमके साथ जाऊँगी-०। ६-घरमें अच्छी तरह संयमके साथ बैठेंगी-। ७-घरमें नीची आँखकर जाऊँगी-०। –घरमें नीची आँखकर वैलूंगी-० । ९-घरमें शरीरको विना उतान किये जाऊँगी- १०–घरमें शरीरको बिना उतान किये बैलूंगी-० । (इति ) परिमंडल वग्ग ॥१॥ ११-( गृहस्थोंके ) घर में न कहकहा लगाते जाऊँगी-। १२-(गृहस्थोंके ) घरमें न कहकहा लगाते वैलूंगी-० । १३-घरमें चुपचाप जाऊँगी- १४-घरमें चुपचाप वैलूंगी- १५–घरमें देहको न भाँजते हुए जाऊँगी-- १६–घरमें देहको न भाँजते हुए वैलूंगी-०। १७-घरमें वाँहको न भाँजते हुए जाऊँगी-०। १८-घरमें बाँहको न भाँजते हुए वैलूंगी- १९-घरमें सिरको न हिलाते हुए जाऊँगी- २०-घरमें सिरको न हिलाते हुए वैटॅगी- । (इति) उज्जग्धिक धम्म ॥२॥ 'मिलाजो-भिस्टु-पातिमोरव ६ ( पृष्ट ६३-६५ ) ६६-६०] [ is