( o 113 ( 0 | 114 १७६ ] ३-महावग्ग [ ३२२ हटाऊँगा या हटवाऊँगा, या धर्मकी बात सुनाऊँगा ० । III (घ) यदि भिक्षुओ ! भिक्षुको बुरी धारणा उत्पन्न हुई हो (यह सोचकर कि) बुरी धारणाको दूर करूँगा या कराऊँगा, या उसे धर्मको बात सुनाऊँगा ० । II2 " यदि भिक्षुओ ! भिक्षुने परि वा स देने योग्य बळा दोष किया हो और वह भिक्षुओं के पास संदेश भेजे-मैंने परिवासके योग्य बळा दोष किया है ० (यह सोचकर कि) परिवास देनेका यत्न करूँगा या सुनाऊँगा, या गणके सामने होऊँगा (च) यदि भिक्षुओ ! भिक्षु मूल प्रति कर्प ण (दंड) के योग्य हो और वह भिक्षुओं के पास संदेश भेजे—मैं मूल प्रतिकर्षणार्ह हूँ ० (यह सोचकर कि) मूल प्रतिकर्पणके लिये प्रयत्न करूंगा या सुनाऊँगा या गणके सम्मुख होऊँगा (छ) “यदि भिक्षुओ ! (कोई) भिक्षु मा न त्वा है (=मानत्व दंड देनेके योग्य) हो 10 IIS (ज) “यदि भिक्षुओ ! (कोई) भिक्षु अव्भा न (=आह्वान) के योग्य हो 01116 (झ) “यदि भिक्षुओ ! संघ किसी भिक्षुका (दंड) कर्म-तर्ज नीय, नि य स्स, प्राज- नीय, प्रति सा र णी य, उत्क्षेप णी य—करना चाहे और वह भिक्षुओंके पास संदेश भेजे-संघ मेरा (दंड-)१ कर्म करना चाहता है ० (यह विचारकर कि) संघ (दंड-)कर्म न करे या हल्का (दंड) करे । और सप्ताहमें लौट आना चाहिये । II7 (अ) " यदि भिक्षुओ ! संघने भिक्षुको तर्ज नी य ० (दंड-)कर्म कर दिया हो, और वह भिक्षुओंके पास संदेश भेजे–'संघने मुझे (दंड-)कर्म कर दिया । भिक्षु लोग आवें । मैं भिक्षुओंका आगमन चाहता हूँ; तो भिक्षुओ ! विना संदेश भेजे भी सप्ताह भरके कामके लिये जाना चाहिये संदेश भेजनेपर तो बात ही क्या । ऐसा (प्रयत्न) करनेके लिये कि ( वह भिक्षु ) अच्छी तरह वर्ताव करे, रोवाँ गिरावे, निस्तारके लिये बर्ताव करे, ( जिसमें कि ) संघ उस दंडको उठा ले । सप्ताहमें लौट आना चाहिये। II8 ३—(क) यदि भिक्षुओ ! कोई भिक्षुणी रोगिणी हो ०१ । 128 -(क) “यदि भिक्षुओ ! शिक्षमाणा रोगिणी हो ।' (ङ) शिक्षमाणाकी शिक्षा टूट गई हो ० (यह सोचकर कि) उसे शिक्षा (= आचार-नियम) के ग्रहण करानेका प्रयत्न करूँगा ० । (च) यदि भिक्षुओ ! शिक्षमाणा उपसंपदा ग्रहण करना (= भिक्षुणी बनना) चाहती है और वह भिक्षुओंके पास संदेश भेजे–'मैं उपसंपदा ग्रहण करना चाहती हूँ, आर्य लोग आयें । मैं आर्योका आगमन चाहती हूँ' तो भिक्षुओ ! विना संदेश भेजे भी सप्ताह भरके कामके लिये जाना चाहिये । संदेश भेजने- पर तो बात ही क्या । (यह सोचकर कि) उपसंपदा ग्रहणमें उत्सुकता पैदा करूँगा, सुनाऊँगा, या गणके सामने होऊँगा, सप्ताहमें लौट आना चाहिये । 133 ५–(क) “यदि भिक्षुओ ! श्रामणेर रोगी हो ०१ (ङ) • श्रामणेर वर्प पूछना चाहे और वह भिक्षुओंके पास दूत भेजे ० (यह सोचकर कि) उससे पूछूगा, या उसे बतलाऊँगा ० । या श्रामणेर उपसंपदा ग्रहण करना चाहता है o 1 138 ७–“यदि भिक्षुओ ! श्रामणेरी हो २।"३ ८—उस समय किसी भिक्षुकी माता रोगिणी थी। उसने पुत्रके पास संदेश भेजा-मैं रोगिणी ४- - O १ ऊपर भिक्षुके लिये आई हुई (ज) तक सभी बातें यहाँ भी दुहरानी चाहिए । भिक्षुके लिये ऊपर (घ) तक आई हुई सभी बातें यहाँ भी दुहरानी चाहिए। ३ श्रामणेरकी तरह यहाँ भी दुहराना चाहिये। २
पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२२७
दिखावट