11 61 11 04 १८८ ] ३-महावग्ग [ ४७१७ भिक्षुओ ! एकत्रित हो जाओ, संघ प्रवारणा करेगा।" ऐसा कहनेपर एक भिक्षुने भगवान्से यह कहा- 'भन्ते ! एक भिक्षु वीमार है , वह नहीं आया है। "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ-रोगी भिक्षुकी प्र वा र णा (को दूसरे द्वारा भेज) देने की।"6 "और भिक्षुओ! इस प्रकार (प्रबारणा) देनी चाहिये उस रोगी भिक्षुको एक भिक्षुके पास जाकर एक कंधेपर उत्तरासंग रख, उकळू बैट, हाय जोळकर ऐसे कहना चाहिये-' में प्रवारणा देता हूँ। मेरी प्रवारणाको लेजाओ ! मेरे लिये प्रवारणा करना।' इस प्रकार कायासे सूचित करे, वचनसे सूचित करे, या काय-वचनसे सूचित करे तो प्रवारणा देवी गई होती है। यदि न कायासे सूचित करे, न वचनसे सूचित करे, न काय-वचनसे मूचित करे, तो प्रवारणा दी गई नहीं होती । इस प्रकार यदि प्रवारणा मिल सके तो ठीक नहीं और यदि नहीं तो भिक्षुओ ! उस रोगी भिक्षुको चारपाई या चौकीपर उठाकर ले आकर प्रबारणा करनी चाहिये । यदि भिक्षुओ ! रोगीके परिचारक भिक्षओंको ऐसाहो-यदि हम रोगीको उसकी जगहसे हटायेंगे तो रोग बढ़ जायगा और उसकी मृत्यु होगी-तो भिक्षुओ रोगीको उस जगहसे नहीं हटाना चाहिये बल्कि संघको वहाँ जाकर प्रवारणा करनी चाहिये । किन्तु संघके एक भागको प्रवारणा नहीं करनी चाहिये; यदि करे तो दुक्कटका दोप हो। २--"यदि भिक्षुओ प्रवारणा देनेपर प्रवारणा ले जाने वाला वहाँसे चला जाये तो प्रवारणा दूसरेको देनी चाहिये । यदि भिक्षुओ ! प्रवारणा देनेपर प्रवारणा लेजानेवाला (भिक्षुपनसे) निकल जाये या मर जाये या श्रामणेर बनजाय या भिक्षुनियमको त्यागदे या अन्तिम अपराध (=पाराजिक) का अपराधी हो जाय, या पागल, विक्षिप्त-चित्त, या मूच्छित हो जाये या दोप न स्वीकार करनेसे उत्क्षिप्तक हो जाये, या दोष या दोषके कामसे उत्क्षिप्तक हो जाये, या बुरी धारणाके न छोळनेसे उत्क्षिप्तक माना जाने लगे, पंडक माना जाने लगे, चोरीसे भिक्षुवस्त्र पहिनने वाला माना जाने लगे, मातृघातक०, पितृघातक०, अर्हद्-घातक०, भिक्षणीदूपक०, संघमें फूटडालन वाला०, बुद्धके शरीरसे लोहू निकालने वाला०, (स्त्री-पुरुष) दोनोंके लिंगवाला माना जाने लगे, तो दूसरेको प्रवारणा प्रदान करनी चाहिये ०१।" (६) प्रवारणामें अपेक्षित भिक्षु-संख्या ४-२उस समय एक आवासमें प्रवारणाके दिन पाँच भिक्षु रहते थे। तब उन भिक्षुओंको यह हुआ-भगवान्ने संघको प्रवारणा करनेका विधान किया है और हम पाँचही जने हैं । कैसे हमें प्रवारणा करनी चाहिये । भगवान् से यह बात कही- 'भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ (कमसे कम) पाँच (भिक्षओं) के संघको प्रवारणा करने की।"7 (७) अन्यान्य-प्रवारणामें नियम १-~-उस समय एक आवासमें प्रवारणाके दिन चार भिक्षु रहते थे। तव उन भिक्षुओंको यह 66 १ देखो उपोसथ-स्कंधक २०२१३ (२-४) (पृष्ठ १५२-५३, 67-69) 'शुद्धि' और 'उपोसथ' की जगह 'प्रवारणा' पढ़ना चाहिये। १, २, ३ स्तंभके लिये उपोसथ-स्कंधक २१२।३ (२-४) (पृष्ठ १५२-५३,67-69) देखना चाहिये। ३
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