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पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२४०

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10 " ४९१८ ] एक भिक्षुकी प्रवारणा [ १८९ हुआ-भगवान्ने पाँच भिक्षुओंके संघको प्रवारणा करनेकी अनुमति दी है और हम चार ही जने हैं । हमें कैसे प्रवारणा करनी चाहिये ?, यह बात भगवान्से कही 'भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ चार ( भिक्षुओं )को एक दूसरेके साथ (अन्योन्य ) प्रवारणा करनेकी।8 " और भिक्षुओ ! इस प्रकार प्रवारणा करनी चाहिये—'चतुर समर्थ भिक्षु उन भिक्षुओंको सूचित करे---'आयुष्मानो ! मेरी सुनो, आज प्रवारणा है । यदि आयुष्मानोंको पसंद हो तो हम एक दूसरेके साथ प्रवारणा करें।' (तव) स्थविर भिक्षुको एक कंधेपर उत्तरासंग कर उकळू बैठ, हाथ जोळ, उन भिक्षुओंसे ऐसा कहना चाहिये-आवृसो ! मैं आयुष्मानोंके पास प्रवारणा करता हूँ। आयुष्मानो ! कृपा करके मुझे ( मेरे ) देखे, सुने और संदेहवाले अपराधोंको बतलावें। देखनेपर मैं उनका प्रतिकार करूँगा । इसके बाद भी० । तीसरी बार भी० ।' (फिर ) नये भिक्षुको एक कंधेपर उत्तरासंग करके, उकळू बैठ, हाथ जोळकर उन भिक्षुओंसे ऐसा कहना चाहिये—'भन्ते ! आयुष्मानोंके पास देखे, सुने मैं प्रवारणा करता हूँ। आयुप्मान् कृपा करके ( मेरे ) देखे, सुने, संदेहवाले अपराधोंको बतलावें । देखनेपर मैं उनका प्रतिकार करूंगा । दूसरी बार भी० । तीसरी बार भी। २-उस समय एक आवासमें प्रवारणाके दिन तीन भिक्षु रहते थे । तब उन भिक्षुओंको यह हुआ—'भगवान्ने अनुमति दी है, पाँचके रांघको प्रवारणा करनेकी । चारको एक दूसरेके साथ प्रवारणा करनेकी, किन्तु हम तीनही जने हैं ; कैसे हमें प्रवारणा करनी चाहिये ?' भगवान्से यह बात कही।- 'भिक्षुओ ! अनुमति देताहूँ तीन (भिक्षुओं )को एक दूसरेके साथ प्रवारणा करनेकी । 9 " और भिक्षुओ! इस प्रकार प्रवारणा करनी चाहिये- ३-उस समय एक आवासमें प्र वा र णा के दिन दो भिक्षु रहते थे। तव उन भिक्षुओंको यह हुआ-'भगवान्ने अनुमति दी है, पाँचके संघको प्रवारणा करनेको और चारको एक दूसरेके साथ प्रबारणा करनेकी, और तीन को (भी) एक दूसरेके साथ प्रवारणा करनेकी, किन्तु हम दोही जन हैं ; कसे हमें प्रवारणा करनी चाहिये ? ' भगवान्से यह वात कही।- भिक्षुओ! अनुमति देता हूँ, दो (भिक्षुओं)को एक दूसरेके साथ प्रवारणा करने की। 10 " और भिक्षुओ इस प्रकार प्रवारणा करनी चाहिये-०१।" (८) एक भिनुकी प्रवारणा उस समय एक आवासमें प्रवारणाके दिन एक भिक्षु रहता था । उस भिक्षुको ऐसा हुआ- 'भगवान्ने अनुमति दी है ० २ और दोको (भी) एक दूसरेके साथ प्रवारणा करने की, किन्तु में अकेला हूँ ; मुझे कमी प्रवारणा करनी चाहिये ?' भगवान्ने यह वात कही।- यदि भिक्षुओ ! किसी आवासमें प्रवारणाके दिन एक भिक्षु रहता है, तो भिक्षुओ ! उस भिक्षुको जिस उपन्यान-माला (चौपाल) ०२ उनके लिये उपोनथमें रुकावट नहीं करनी चाहिये ।" II १ 17 ० 'चार भिक्षुओं वाली प्रदारणाकी तरह यहाँ भी दुहराना चाहिये । देखो:४६ (३) (पृट १५५-77)-'उपोन' और 'शुद्धि' की जगह्पर 'प्रवारणा' पढ़ना पाहिये।