पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२४१

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१९० ] ३-महावग्ग [ ४९३१ (९) प्रवारणामें दोप-प्रतिकार कैसे और किसके सामने १ उस समय एक भिक्षुको प्रवारणा करते समय दोप याद आया । "०२ जब वह संदेह रहित होगा तो उस दोपका प्रतिकार करेगा।' (यह) कह प्रवारणा करे । इसके लिये प्रवारणाको छोळ नहीं देना चाहिये" | 12-13 प्रथम भाणवार समाप्त ६२-कुछ भिक्षुओंकी अनुपस्थितिमें की गई नियम-विरुद्ध प्रवारणा क. (क) अन्य आश्रमवासियोंकी अनुपस्थितिको जानकर की गई दोषरहित प्रवारणा उस समय एक आवासमें प्रवारणाके दिन बहुतसे—पाँच या अधिक आश्रमवामी भिक्षु हुए। उन्होंने नहीं जाना कि कुछ आश्रमवासी भिक्षु आये । ०३ और भिक्षुओ ! संबकी समग्रताके अतिरिक्त प्रवारणासे भिन्न दिनको प्रवारणा नहीं करनी चाहिये ।"821 द्वितीय भाणवार समाप्त ३-असाधारण प्रवारणा (१) विशेप अवस्थाओंमें संक्षिप्त प्रदारणा १—(क) उस समय को स ल देशमें एक आवासमें प्रवारणाके दिन श व रों का भय होगया । भिक्षु तीन वचनसे प्रवारणा नहीं कर सके । भगवान्से यह बात कही। "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ दो वचनसे प्रवारणा करनेकी ।” 822 (ख) और अधिक शबरोंका भय हुआ जिससे भिक्षु दो वचनसे भी प्रवारणा नहीं कर सके। भगवान्से यह बात कही।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ एक वचनसे प्रवारणा करनेकी। 823 (ग) और भी अधिक शबरोंका भय हुआ । भिक्षु एक वचनसे भी प्रवारणा नहीं कर सके।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ उसी वर्पमें प्रवारणा करनेकी ।” 824 २-उस समय एक आवासमें प्रवारणाके दिन लोग दान देते थे, जिससे बहुत अधिक रात वीत जाती थी। तव उन भिक्षुओंको हुआ—'लोग दान देते हैं जिससे अधिक रात बीत गई; यदि संघ तीन वचनसे प्रवारणा करेगा तो संघकी प्रवारणा भी नहीं पूरी होगी और बिहान होजायगा । हमें कैसे करना चाहिये ?' भगवान्से यह बात कही।- १ इसके लिये २९४७ (पृष्ठ १५५,78,79) को देखना चाहिये । २ देखो २४१८ (१,२) (पृष्ठ १५५-५६) 'प्रातिमोक्ष'की जगह 'प्रवारणा' पढ़ना चाहिये ३ देखो वर्षोपनायिक-स्कंधक ३९३-४ (पृष्ठ १७८-८४) चार भिक्षुके स्थानपर पांच भिक्षु और 'उ पो स थ के स्थानपर 'प्रवारणा' पड़ना चाहिये । । संघके सामने निवेदन करते समय 'दूसरी बार भी', 'तीसरी बार भी' कहकर जो वही वाक्यावली दो वार, तीन बार, दुहराई जाती है उसीको 'दो वचन', 'तीन वचन' कहते है ।