पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

O ४६३।१] विशेष अवस्थाओंमें संक्षिप्त प्रवारणा [ १९१ "यदि भिक्षुओ! किसी आवासमें प्रवारणाके दिन लोग दान दें जिससे बहुत अधिक रात बीत जाये और भिक्षुओंको ऐसा हो—'लोग दान देते हैं जिससे अधिक रात वीत गई; यदि संघ तीन वचनसे प्रवारणा करेगा तो संघकी प्रवारणा भी नहीं पूरी होगी और विहान होजयागा, तो चतुर समर्थ भिक्षु संघको सूचित करे—'भन्ते ! संघ मेरी सुने, लोगोंके दान देनेमें आज बहुत रात बीत गई यदि संघ तीन वचनसे प्रवारणा करेगा तो संघकी प्रवारणा भी नहीं पूरी होगी और बिहान होजायगा। यदि संघ उचित समझे तो वह दो-वचन-वाली, एक-वचन-वाली, या उसी-वर्प-वाली प्रवारणा करे।' 825 ३-"यदि भिक्षुओ ! किसी आवासमें प्रवारणाके दिन भिक्षु ओं के धर्म (= सुत्तंत = वुद्धोपदेश) का पाठ करते, सुत्त पाठियोंके सुत्तंतका संगायन करते विनयधर्मके विनयका निर्णय करते, धर्मकथिकों (= धर्मोपदेशकों) के धर्मकी परीक्षा करते, भिक्षुओंके कलह करते, अधिक रात बीत जाये और तव भिक्षुओंको ऐसा हो--- भिक्षुओंके कलह करते आज बहुत अधिक रात चली गई, यदि संघ तीन-वचन-वाली प्रवारणा करेगा तो संघकी प्रवारणा भी नहीं पूरी होगी और विहान हो जायगा'; तो चतुर समर्थ भिक्षु संघको सूचित करे–० भिक्षुओंके कलह करते (आज) बहुत अधिक रात बीत गई । यदि संघ तीन-वचन-वाली प्रवारणा करेगा तो संघकी प्रवारणा भी नहीं होगी और बिहान होजायगा । यदि संघ उचित समझे तो वह दो-वचन-वाली, एक-वचन-वाली, या उसी वर्ष वाली प्रवारणा करे।' "826 ४---उस समय को स ल देशके एक आवासमें प्रवारणाके दिन बहुत भारी भिक्षु-संघ एकत्रित हुआ था । वहाँ वर्षासे वचनेका स्थान कम था और बहुत भारी मेघ उठा हुआ था । तब उन भिक्षुओंको यह हुआ—'यह बहुत भारी भिक्षु-संघ एकत्रित हुआ है । यहाँ वर्पासे बचनेका स्थान कम है और बहुत भारी मेघ उठा हुआ है यदि संघ तीन-वचन-वाली प्रवारणा करेगा तो संघकी प्रवारणा भी पूरी न होगी और यह मेघ बरसने लगेगा। (इस वक्त) हमें कैसे करना चाहिये ?' भगवान्से "यदि भिक्षुओ ! किसी आवासमें प्रवारणाके दिन वहुत भारी भिक्षु-संघ एकत्रित हुआ हो, वहां वर्षासे बचनेका स्थान कम हो; और बहुत भारी मेघ उठा हुआ हो; और उस वक्त भिक्षुओंको ऐसा हो—'यह बहुत भारी भिक्षु-संघ एकत्रित हुआ है । यहाँ वर्षासे बचनेका स्थान कम है, और बहुत भारी मेघ उटा हुआ है । यदि संघ तीन-वचन-वाली प्रवारणा करेगा तो संघकी प्रवारणा भी पूरी न होगी और यह मेघ बरसने लगेगा'; तो चतुर समर्थ भिक्षु संघको सूचित करे-'भन्ते ! संघ मेरी सुने, यह बहुत भारी भिक्षु-संघ एकत्रित हुआ है ० यह मेघ वरसने लगेगा । यदि संघ उचित समझे तो वह दो-वचन-दाली, एक-वचन-वाली या उसी वर्ष वाली प्रवारणा करे।" 827 ५- "यदि भिक्षुओ ! किसी आवासमें प्रवारणाके दिन राजाकी तरफ़ से विघ्न हो ६-"यदि भिक्षुओ ! किनी आवासमें प्रवारणाके दिन चोरका विघ्न हो अग्निका विघ्न हो ० । 830 ८-" ० पानीका विघ्न हो 01 831 ६-" मनुप्पका विघ्न हो । 832 १०-० अमनुप्पका दिन हो 0 1853 - हिनद जन्तुओंवा भय हो ६६-० भीमपोंदा भय हो 1835 - उनका भय हो । 856 01 828 ० । 829 . 01834