पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१९२ ] ३-महावग्ग [ ४४४३ १४-"० ब्रह्मचर्यमें विघ्न हो और वहाँ भिक्षुओंको ऐसा हो—'यह ब्रह्मचर्यका विघ्न उपस्थित है, यदि संघ तीन-वचन-वाली प्रवारणा करेगा तो संघकी प्रवारणा भी पूरी न होगी और ब्रह्मचर्यका विघ्न भी होजायगा;' तो चतुर समर्थ भिक्षु संघको सूचित करे-'भन्ते ! संघ मेरी सुने, यह ब्रह्मचर्यका विघ्न (उपस्थित) है ०, यदि संघ उचित समझे तो वह दो-वचन-वाली, एक-वचन वाली या उसी वर्षवाली प्रवारणा करे ।' "837 (२) दोपयुक्त व्यक्तिको प्रवारणाका निषेध १-उस समय षड्वर्गीय भिक्षु दोपयुक्त होते प्रवारणा करते थे । भगवान्से यह बात कही। "भिक्षुओ ! दोषयुक्त हो प्रवारणा नहीं करनी चाहिये । जो प्रवारणा करे उसे दुक्क ट का दोष है । भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ जो दोपयुक्त होते प्रवारणा करे उसे अवकाश करा दोपारोपण करनेकी।" 838 ४-प्रवारणाका स्थगित करना (१) अवकाश न करनेपर स्थगित उस समय षड्वर्गीय भिक्षु अवकाश करवाते वक्त अवकाश करना नहीं चाहते थे। भगवान् से यह बात कही- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ अवकाश न करनेवालेकी प्रवारणाको स्थगित करनेकी । 839 "और भिक्षुओ ! इस प्रकार स्थगित करना चाहिये । चतुर्दशी या पंचदशीकी उस प्रवारणा को उस व्यक्तिके साथ होनेपर संघके बीचमें बोलना चाहिये- 'भन्ते ! संघ मेरी सुने, अमुक नाम वाला व्यक्ति दोष-युक्त है । उसकी प्रवारणाको स्थगित करता हूँ। सामने होनेपर भी उसकी प्रवारणा नहीं करनी चाहिये'; इस प्रकार प्रवारणा स्थगित होती है।" (२) अनुचित स्थगित करना उस समय षड्वर्गीय भिक्षु (यह सोच) कि अच्छे भिक्षुके मुखपर हमारी प्रवारणा स्थगित करते हैं, ईर्ष्यासे दोष-रहित शुद्ध भिक्षुओंकी प्रवारणाको भी झूठ-मूठ बिना कारण स्थगित करते थे; और जिनकी प्रवारणा होगई उनकी प्रवारणाको भी स्थगित करते थे । भगवान्से यह बात कही।- "भिक्षुओ ! दोपरहित शुद्ध भिक्षुओंकी प्रवारणाको विना कारण झूठ-मूठ स्थगित न करना चाहिये । जो स्थगित करे उसको दुक्क ट का दोष है । और भिक्षुओ ! जिनकी प्रवारणा हो चुकी उनकी प्रवारणाको स्थगित नहीं करना चाहिये; जो स्थगित करे उसको दुवक ट का दोप है।" 840 (३) स्थगित करनेका प्रकार "भिक्षुओ ! इस प्रकार प्रवारणा स्थगित होती है और इस प्रकार अ-स्थगित । १-"कैसे भिक्षुओ ! प्रवारणा अस्थगित होती है ? यदि भिक्षुओ ! तीन वचनसे प्रवारणाको भाषण कर, कह कर समाप्त की गई प्रवारणाको स्थगित करे, तो वह प्रवारणा अ-स्थगित होती है । भिक्षुओ ! यदि दो वचनसे ० । भिक्षुओ ! यदि एक वचनसे ० । भिक्षुओ! यदि उसी वर्ष वाली प्र वा र णा को भाषणकर, कहकर समाप्त की गई प्रवारणाको स्थगित करे तो वह प्रवारणा अ-स्थगित (ही) है -इस प्रकार भिक्षुओ ! प्रवारणा अ-स्थगित होती है।