पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२४४

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a ! ४१८१५ ]] दंड करके प्रवारणा करना [ १९३ २-"कैसे भिक्षुओ! प्रवारणा स्थगित होती है ? यदि भिक्षुओ ! तीन वचनसे भापणकी गई, कही गई प्रवारणाके समाप्त न होते उसे (कोई) स्थगित करता है तो वह प्रवारणा स्थगित होती है । दो वचनवालो ०० एक वचनवाली ०० उसी वर्षवाली ०।--इस प्रकार भिक्षुओ ! प्रवारणा स्थगित होती है।" (४) फटकार करके प्रवारणा पूरा करना "यदि भिक्षुओ ! प्रवारणाके दिन एक भिक्षु (दूसरे) भिक्षुकी प्रवारणाको स्थगित करता है, और उस भिक्षुको दूसरे भिक्षु जानते हैं-इन आयुप्मान्का कायिक आचार शुद्ध नहीं, वाचिक आचार गुद्ध नहीं, आजीविका शुद्ध नहीं, यह मूर्ख अजान हैं । प्रेरित करनेपर ऐसा कहनेमें समर्थ नहीं हैं-बस भिक्षु मत भंडन कलह, विग्रह, विवाद कर-इस प्रकार फटकार करके संघको प्रवारणा करनी चाहिये । 841 २-"जब भिक्षुओ ! प्रवारणाके दिन, एक भिक्षु दूसरे भिक्षुकी प्रवारणाको स्थगित करता है, उस भिक्षुको यदि दूसरे भिक्षु जानते हैं-इन आयुष्मान्का कायिक आचार शुद्ध है, वाचिक आचार अशुद्ध है, आजीविका अशुद्ध है, यह अन मूर्व है, प्रेरणा करनेपर भी अनियोग देने में समर्थ नहीं, तो-मन भिक्षु भंडन- कलह, विग्रह, विवाद कर,—यह कह फटकार संघको प्रवारणा करनी चाहिये । 842 ३--"जब भिक्षुओ! प्रवारणाके दिन एक दूसरे भिक्षुकी प्रवारणाको स्थगित करे । उस भिक्षुको यदि दूसरे भिक्षु जानते है-इस आयुप्मात्का कायिक आचार शुद्ध है (किन्तु) आजीविका गुद्ध नहीं है, यह अज मूर्व है. प्रेरित करनेपर भी अनियोग देने में समर्थ नहीं है, तो-मत भिक्षु ! भंडन- कलह, विग्रह, विवाद कर - (कह) फटकार कर संघको प्रवारणा करनी चाहिये। 843 ४-"जब भिक्षुओ ! ० इन आयुप्मान्का कायिक आचार शुद्ध है, वाचिक आचार शुद्ध है, आजीविका शुद्ध है (किन्तु) यह मूर्ख अन हैं, प्रेरित करनेपर भी अनियोग देनेमें समर्थ नहीं हैं, तो--मत भिक्षु ! • विवाद कर -(कह) फटकार कर मंघको प्रवारणा करनी चाहिये ।" 844 ( ५ ) दंड करके प्रचारणा करना १--"जव भिक्षुओ! ० दूसरे भिक्षु जानते हैं-इन आयुप्मान्का कायिक समाचार, वाचिक समा- चार गढ़ है, आजीविका गुह है, यह पंडित चतुर है, प्रेरित करनेपर अनियोग देनेमें समर्थ हैं; तो उससे ऐसा कहना चाहिये-'आवुन ! जो तुमने इस भिक्षुकी प्रवारणा स्थगितकी सो किस लिये स्थगित की : क्या गील-संबंधी दोपने स्थगितकी, या आचार-संबंधी दोपमे स्थगित की, या दृष्टि (धारणा)- गंबंधी दोपने स्थगितकी ? यदि वह ऐसा कहे-नील-संबंधी दोपमे स्थगित करता हूँ, या आचार- संबंधी दीप ने न्धगित करता हूँ, या दृष्टि-मंबंधी दोपने स्थगित करता हूँ।' तो उसने ऐसे पूछना चाहिय-या आयुष्मान् सील-संबंधी दोपको जानते हैं ? आचार-संबंधी दोपको जानते हैं ? या धारणा (-वृष्टि)-गंबंधी दोपको जानते है ? यदि वह ऐसा कह-आवुमो ! मैं गील-संबंधी दोपको जानता है. आचार-संबंधी दोपको जानता हूँ. धारणा-मंबंधी दोपको जानता हूँ ; तो उसे ऐमा कहना गीय-आदन ! क्या है गीर-संबंधी दोप, क्या है आचार-संबंधी दोप, क्या है धारणा-संबंधी चोदना बाहे-'चार पागनिक. तेन्ह मंघा दिने म, यह गील-संबंधी दोष है; परू नका. पा चिनि द. पाटिदेन नि य. दृवाट, दुर्भा पप यह आचार संबंधी दोप हैं; मिथ्या- आन-महिला टि.हि दृष्टि-संबंधी बोप है; नो ने यह कहना चाहिये-आदम ! जो तुमने ! 'आमाको निन्य या संतरि-रहित मानना ।