पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/२७

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[ २० ] २२७ २४८ १४. श्रावस्ती पृष्ठ पृष्ठ (१०) निर्जन वन स्थानमें स्वयं फल १६. गोरस और फल-रसका विधान २४६ आदिका ग्रहण करना (१) मेंडक श्रेष्ठी और उसके परिवार (११) भोजनोपरान्त लाये भक्ष्यकी अनु- की दिव्य-विभूतियाँ २४६ मति २२८ (२) विविसार द्वारा मेंडककी परीक्षा २४७ ३. श्रावस्ती २२६ ११. भदिया २४८ (१२) स्वयं लेकर फल खाना २३० ( ३ ) पाँच गोरसोंका विधान ( ४ ) पाथेयका विधान २५० ४. राजगृह ( ५ ) सोने-चाँदीका निषेध २५० (१३) गुप्तस्थानके चीर-फाळ और वस्ति- कर्मका निषेध १२. श्रापण २५० २३० (६) आठ पानों, और सभी फल-रसोंकी १४. अभक्ष्य मांस २३१ विकालमें भी अनुमति २५० ५. वाराणसी २३१ १३. कुसीनारा २५२ (१) सुप्रियाका अपना मांस देना २३१ (७) रोजमल्लका सत्कार २५२ (२) मनुष्य हाथी आदिके मांस अभक्ष्य २३२ (८) डाक और पीणकी अनुमति २५३ ६. ग्रंधकविन्द २३४ (९) भूतपूर्व हजाम भिक्षुको हजामतका ( ३ ) खिचळी और लड्डूका विधान २३४ सामान लेना निपिद्ध (४) निमंत्रणके स्थानसे भिन्नकी खिचळी २५१ निषिद्ध २३५ (१०) सांघिक खेत और बीज आदिमें नियम २५४ २३६ (११) विधान या निषेध न कियेके बारेमें (५) वेलट्ठ कात्यायनका गुड़का व्यापार २३६ निश्चय ( ६ ) रोगीको गुळ और नीरोगको गुळका (१२) किस कालका लिया भोजन किस रस २३८ काल तक विहित २५५ ८. पाटलिग्राम ७-कठिन-स्कंधक २३८ २५६-६५ १. कठिन चीवरके नियम २५६ (७) पाटलिग्राममें नगर-निर्माण २३८ १. श्रावस्ती ६. कोटिग्राम २४? (१) कठिन चीवरका विधान २५६ १०. वैशाली २४२ (२) कठिनबाले भिक्षुके लिये विधान (८) सिंह सेनापतिकी दीक्षा २४२ ( ३ ) कठिनका प्रसारण और न प्रसारण २५७ (९) अपने लिये मारे मांसको जान बूझ १२. कठिन चीवरका उद्धार २५८ कर खाना निपिद्ध २४५ ( १ ) कठिनकी उत्पत्ति २५८ १५. संघाराममें चीजों के रखनेके स्थान २४५ (२) सात आदाय ( १ ) दुर्भिक्षके समयके विधान मुभिक्षमें ( ३ ) सात समादाय निपिद्ध २४५ ( ४ ) छ आदाय (२) कल्प्यभूमि (चीज़ोंके रखनेका ( ५ ) छ समादाय २५९ स्थान) चुनना (६) आदाय कठिन-उद्धार ( ३ ) कल्प्यभूमिमें भोजन नहीं पकाना २४६ (७) समादाय कठिन-उद्धार २६० (४) चार प्रकारकी कल्प्यभूमियाँ (८) अनागापूर्वक कठिन-उद्धार ७. राजगृह 1) " " " 12 T