पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/३३०

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८९३१ ] चीवरकी रेंगाई [ २७७ (६) जसा चोवरोंका बाँटना उस समय संघके भंडारमें चीवर जमा हो गये थे। भगवान्से यह बात कही "भिक्षुओ! अनुमति देता हूँ, संघके सामने वाँटनेकी।" 18 (७) चोवर-भाजकका चुनाव उस समय सारा संघ (एकत्रित हो) बाँटता था, जिससे हल्ला होता था। भगवान्से यह बात कही।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ पाँच गुणोंसे युक्त भिक्षुको ची व र-भा ज क (चीवर बाँटने- वाला) चुननेकी (१) जो न स्वेच्छाचारी हो०१ । 19 "और भिक्षुओ! इस प्रकार चुनाव करना चाहिये०१।" (८) चोवर वाँटनेका ढंग तव चीवर-भाजक भिक्षुओंको ऐसा हुआ—'कैसे चीवर वाँटना चाहिये ?' भगवान्से यह वात कही।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ, पहले चुनकर, तुलनाकर, रंग-रंग (को अलग) कर, भिक्षुओं- की गणनाकर, (उन्हें) वर्गमें वाँट चीवरके हिस्सेको स्थापित करनेकी।" 20 (९) भिक्षुओंसे श्रामणेरोंका हिस्सा १-तब चीवर-भाजक भिक्षुओंको यह हुआ कैसे श्रामणेरोंको हिस्सा देना चाहिये? भग- वान्से यह बात कही ।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ, श्रामणेरोंको उपार्थ (=दोतिहाई हिस्सा) देनेकी।" 21 २–उस समय एक भिक्षु अपने हिस्सेको छोळ देना चाहता था। भगवान्से यह बात कही।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ छोळनेवालेको अपने भागके दे देनेकी।" 22 ३-उस समय एक भिक्षु अधिक भागको छोळ देना चाहता था। भगवान्से यह बात कही "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ अनुक्षेप (=पूर्ति) दे देनेपर अधिक भागको दे देनेकी ।" 25 (१०) बुरे चीवरोंपर चिट्टो डालना तब ची व र-भा ज क भिक्षुओंको यह हुआ-'कने चीवरका हिस्सा देना चाहिये ?' क्या जैसा हाथमें आवे देसाही या पुरानेके क्रमते ?" भगवान्ने यह बात कही ।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ खरादको जमाकर उसपर कुग डालनेकी।" 24 (३-चोवरकी रँगाई आदि (१) चीवर रंग के रंग स्त समय निभ गोबरने नी, पीली मिट्टीने नी, चीदाको मते थे । चीवर दुर्दर्ण होते थे। गाने का कद दही ।- सदर-निसाहः (पद ७६) की दह ।