पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/३३९

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३-महावन्ग .. ८६ ] [ ८६१ "भन्ने! भगवान् मे गन पॉरने के बरमतो ग्वीकार करें जिसमें कि यह मुझे विमान नया हित गुन्बके लिये हो। भगवान्ने मुल पोजनेले. वजनो स्वीकार किया । • विमा वा म गा र मा ना भगवान्की धार्मिक कथा दाग समजित समाणित हो आगनने उठकर नली गई। तब भगवान्ने० भिक्षुओंको गंबोधित किया-- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ मग पोछने के वकी।".48 (४) पाँच बातोंने गुरु व्यक्तिको विश्व मनीय समझना उन नमय गे जमल आयामान आनन्दका मिला था। गेज मन्ट ने औ म ( अन्लनीकी छालका बना कपला ) की पिलो नि का आयमान् आगन्न हाथमें दी थी और आयुष्मान् आनन्दयों भीम पिलो ति का की आवश्यकता भी। भगवान ने गह यान नही ।-~ "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूं पान नातोंने यरन (: व्यक्ति ) पर विवाग कग्नेकी-(?) प्रसिद्ध हो; (२) संभ्रान हो : (३) बोलने वाला हो: (१) जीता हो; (५) लेनेपर मुझमे संतुष्ट होगा यह जानता हो। भिक्षुओ' अनुमति देता हूँ उन पांच बाताग युक्तपर विश्वास करनेकी ।" 49 (५) जलछक अादिकं लिये उपयोगी बन्न उस समय भिक्षुओंके तीनों नीवर पूर्ण थे किन्तु उन्हें जलछक्के और थैलेकी आवश्यकता थी। भगवान्से यह बात कही।-- "भिक्षुओ! अनुमति देता हूँ परि प्का र (= कामकी वस्तुओं) के वस्त्रकी।"50 (६) वस्त्रोंमें कुछका सदा और कुछका चारो वारीसे इस्तेमाल करना तव भिक्षुओंको यह हुआ-भगवान्ने जिन चीज़ोंके लिये अनुमति दी है (-जैसे कि)-तीन चीवर, वपिक साटिका, आसन, प्रत्यस्तरण, कंडूक-प्रतिच्छादन, या मुख पोंछनेका वस्त्र या परिकार वस्त्र; उन सभीका उपयोग करना चाहिये, या उनका वि क ल्प करना चाहिये। भगवान्से यह बात कही।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ तीनों चीवरोंको उपयोग करनेकी। विकल्प करनेकी नहीं। वर्षिक साटिकाको वर्षाके चारों मासों तक इस्तेमाल करनेकी उसके बाद विकल्प करनेकी; आसनको इस्तेमाल करनेकी, विकल्प करनेकी नहीं; प्रत्य स्त र ण को इस्तेमाल करनेकी, विकल्प करनेकी नहीं; कं डू क प्रति च्छा द न को जब तक रोग है इस्तेमाल करनेकी, इसके बाद विकल्प करनेकी मुख पोंछनेके वस्त्रको इस्तेमाल करनेकी, विकल्प करनेकी नहीं; परिष्कार, वस्त्रको इस्तेमाल करने की, विकल्प करनेकी नहीं।" 5I (७) वारीवाले चीवरको लम्बाई चौलाई तव भिक्षुओंको यह हुआ—'कितने पीछेके चीवरका विकल्प करना चाहिये।' भगवान्ने यह बात कही।- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ, बुद्धके अंगुलसे लम्बाईमें आठ अंगुल; चौळाईमें चार अंगुल पीछेके चीवरको विकल्प करनेकी।" 52 १ जिनको एक साथ नहीं रखा जा सकता।