पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/३४९

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३-महावग्ग [ ८६ भेजता है: और वह गन्ते में सुनता है कि भेजनेवाला मर गगा और उसे मरेका त्रीवर समझ इस्तेमाल करता है. तो इस्तेमाल करना ठीक है। जिसके लिये भेजा गया है उसके विश्वासमे अगर लेता है, तो लेना ठीक नहीं।" 91 ३-"यदि वह गन्ने गुनता है कि जिनके लिये भेजा गया वह मर गया और उसे मका चीवर समज उस्तेमाल कन्ना है तो उन्नेमाल करना ठीक नहीं। यदि भेजनेवालेके विश्वासने ले लेना है तो लेना ठीक है।" 92 ४-"यदि ० गुनता है कि दोनों मर गये नो भेजनेवालेका मृतक त्रीवर मान इस्तेमाल करे तो इस्तेमाल करना ठीक है. जिगनो भेजा गया उगमा मृतक नीवर मान इस्तेमाल करे तो इग्ने माल करना ठीक नहीं।"95 ५-"यदि भिक्षुओ ! कोई भिक्षु दुगरे भिक्षन हाथग--यह चीवर अमुकको देता है-(कह) चीवर भेजता है, और वह गन्नेमें भेजने वाले विश्वागगे, लेता है तो लेना ठीक नहीं; जिसको भेजा गया उसके विश्वासरी ले लेता है तो ठीक है।"94 ६--"यदि भिक्षुओ ! कोई भिक्षु दुगरे भिक्षके हाथों-यह चीवर अमुकको देता है- (कह) चीवर भेजता है, और वह रास्तेमें गुनता है कि भेजनेवाला मर गया और उसे मृत क-चीवर मान इस्तेमाल करता है तो उरतेमाल करना ठीक नहीं है: जिनके लिये भेजा गया है उसके विश्वानने अगर लेता है तो ठीक है।" 95 ७--"यदि० सुनता है जिसको भेजा गया वह मर गया और उसका मृतक-चीवर मात इस्तेमाल करता है तो इस्तेमाल करना ठीक है। भेजनेवालेके विश्वासमे अगर ले लेता है तो ठीक नहीं है।" 96 ८-“यदि० सुनता है कि दोनों मर गये, तो यदि भेजनेवालेका मृतक-चीवर (मान) इस्तेमाल करे तो इस्तेमाल करना ठीक नहीं, और जिसको भेजा गया उसका मृतक-चीवर मान इस्तेमाल करे " तो ठीक है।"97 (३) आठ प्रकारके चीवर-दान और उनका बँटवारा "भिक्षुओ! यह आठ चीवरकी मातृकाएँ (=उत्पत्तिके कारण) हैं-(१) सीमामें देता है (२) वचन-वद्ध होने (=कतिका) से देता है; (३) भिक्षाके स्वीकारसे देता है; (४) (अकेले भिक्षु-) संघको देता है; (५) (भिक्षु-भिक्षुणी) दोनों संघको देता है; (६) वर्षावास कर चुके संघको देता है; (७) (चीज़) कहकर देता है; (८) व्यक्तिको देता है । (१) 'सीमामें देता है' तो सीमाके भीतर जितने भिक्षु हैं उनको बाँटना चाहिये । 98 (२) 'वचन-वद्ध होनेसे देता है तो एक प्रकारके लाभवाले जितने आवास हैं, एक आवासको देनेपर उन सभी (आवासों) के लिये दिया होता है । 99 (३) 'भिक्षाके स्वीकारसे देता है' तो जहाँ (वह दायक) संघका काम बराबर किया करता है वहाँके लिये दिया होता है। 100 (४) (एक) संघको देता है तो संघके सामने वाँटना चाहिये । IOI (५) '(भिक्षु-भिक्षुणी) दोनों संघको देता है' तो चाहे भिक्षु बहुत हों और भिक्षुणी एकही हो, आधा आधा (बाँट) देना चाहिये; चाहे भिक्षुणी बहुत हों भिक्षु एकही हो आधा आधा (बाँट) देना चाहिये । 102 (६) 'वर्षावास' कर चुके संघको देता है' तो जितने भिक्षुओंने उस आवासमें वर्षावास किया उन्हें वाँटना चाहिये । 103