पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/३५०

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८६९।३ ] चीवरोंका दान [ २९७ (७) '(चीज़ ) कहकर देता है तो यवागू या भात या खाद्य (वस्तु) या चीवर या आसन या भपज्य (जिसके लिये कहा, वह देना चाहिये ) । 104 (८) 'व्यक्तिको देता है' यह चीवर अमुकको देता हूँ (तो उसी व्यक्तिको देना चाहिये)।"105 चीवरक्वन्धक समाप्त ॥८॥