पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/३६१

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३०६ ] ३-महावग्ग [ Gola २-"भिक्षुओ! कौनसा व्यक्ति निस्सारण (के दोप) को अप्राप्त है और संघ उसे निकालना है (तो भी वह) सुनिस्सारित है ?--भिक्षुओ! जो भिक्षु मूर्ख, नासमझ, वारवार कसूर करनेवाला, अप दा न-(चरित्र)-रहित, गृहस्थोंके साथ अत्यन्त संसर्ग रखकर गृहस्थोंके प्रतिकूल संमगन युक्त हो विहार करता है और उने यदि संव निकालता है तो वह मुनि स्सा नि त है। भिक्षुओ! इस व्यक्तिके लिये कहा जाता है कि वह निस्सारण (के दोप) को अप्राप्त था (किन्तु) संबने उमे निकाला (और वह) सुनिस्सारित है।" 16 (६) ठोक अोर वेठोक अवसारण (=ले लेना) "भिक्षुओ ! यह दो ओसारणा हैं-भिक्षुओ ! कोई व्यक्ति ओ सा र ण की (योग्यता कर्म) को अप्राप्त होता है और उसे संघ ओसारता (=अपने में मिलाता) है (तो उनमस) कोई सु-ओपारित होता है और कोई दुर्-ओसारित भी। 17 १-"भिक्षुओ! कौनसा व्यक्ति ओसारण (की योग्यता कर्म)को अप्राप्त है और उसे संघ ओसारता है, (इसलिये) दुर्-ओसारित है ? भिक्षुओ ! पंडक ओसारणा (की योग्यता) को अत्रान है। यदि संघ उसे ओसारण करे तो वह दुर्-ओसारित है। चोरके साथ रहनेवाला० । तीथिकके पास चला गया० । तिर्यक् योनिमें चला गया० । मातृघातक० । पितृघातक० । अर्हत्यातक० । भिक्षुणीपकः । संघमें फूट डालनेवाला० । ०लोहू निकालनेवाला० । (स्त्री-पुरुष) दोनों लिंगोंवाला ओसारणा (की योग्यता) को अप्राप्त है। यदि संघ उसे ओसारण करे तो वह दुर्-ओसारित है। भिक्षुओ ! यह कहा जाता है कि व्यक्ति ओसारणा (की योग्यता) को अप्राप्त है और उसे संघ ओसारता है, (इसलिये) दुर्-ओसारित है। भिक्षुओ! ये व्यक्ति कहे जाते हैं ओसारणा (की योग्यता)को अप्राप्त है और उन्हें संघ ओसारता है (इसलिये) दुर्-ओसारित है। 18 -"भिक्षुओ! कौनसा व्यक्ति ओसारणकी योग्यताको अप्राप्त है और उसे संघ औतारता है तो भी वह सु-ओसारित है ? हथ-कटा, भिक्षुओ ! ओसारणाकी योग्यताको अप्राप्त है । यदि उसे संघ ओसारण करे तो सु-ओसारित है। पैर-कटा०। हाथ-पैर-कटा० । कन-कटा० । नकटा० । नाक कान-कटा० । अँगुली-कटा० । अल (=अङग ?) कटा० । कंधा-कटा० । झर गई अंगुलियों के हाथवाला० । कुवळा० । बौना । घेघेवाला० । लक्ष णा हत' ० । कोळा खाये हुआ० । लि जि - त क२ ( Out-law ) । सी पा टि क३० । भयंकर रोगोंवाला ० । परिषद्को बिगाळनेवाला। काना० । लूला० । लँगळा० । पक्षाघातवाला० टूटे ऐफ पि थ ( शारीरिक आचार) वाला० । बुढ़ापेसे दुर्बल० । अन्धा० । गूंगा० । बहरा० । अन्धा-गूंगा । अन्धा-बहरा० । मूंगा-बहरा० । अन्या गूंगा-बहरा, भिक्षुओ! ओसारणा (की योग्यता)को अप्राप्त है और यदि उसे संघ ओसारता है तो यह सु-ओसारित है।. . .भिक्षुओ! इन्हें कहा जाता है कि व्यक्ति ओसारणा (की योग्यता)को अप्राप्त थे और यदि संघ उन्हें ओसारता है तो वे सु-ओसारित हैं।" (इति) वा स भ गा म भाणवार प्रथम ॥१॥ (७) अधर्मसे उत्तेपणीय कर्म क. "(१) भिक्षुओ! एक भिक्षुको कोई आपत्ति (अपराध) नहीं हुआ होता और उसे - ? 19 १ जिसे पैसा लाल करके दागनेका दंड मिला है। २ जिसके दंडके लिये राजाके यहाँ लिखा रहता है कि जो इसे पावे मार डाले । ३ फील-पाँव रोगवाला।