पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/३७

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[ २८ ] पृष्ठ २. वैशाली (२) नवकर्म ४४६ ४७५ ८८९ ८६७ 19 ४५१ पृष्ठ (२) झूठी विद्याओंका न पढ़ना (३) छींक आदिके मिथ्याविश्वास (४) लहसुन खानेका निषेध १७. पेसावखाना, पाखाना, वृक्ष रोपना, वर्तन-चारपाई आदि सामान (१) पेसावखाना (२) पाखाना (३) वृक्षका रोपना आदि (४) ताँवे, लकळी, मट्टीके भाँडे ६-शयन-आसन स्कंधक ११. विहार और उसका सामान ४५० १. राजगृह (१) राजगृह श्रेष्ठीका विहार बनवाना ४५० (२) तीनों काल और चारों दिशाओंके संघको विहारका दान (३) किवाळ और किवाळके सामान ४५२ (४) जंगला (५) चारपाई, चौकी आदि (६) सूत विस्तरा आदि ४५४ १२. विहारकी रंगाई और नाना प्रकारके घर ४५४ (१) भीतके रंग ४५४ (२) भीतमें चित्र ४५५ (३) सीढ़ी आदि (४) कोठरी (५) आलिन्द, ओसारा ४५६ (६) उपस्थान-शाला (७) पानी-गाला (८) विहार (९) परिवेण (=आँगन) (१०) आराम (११) प्रासाद-छत ७३. अनाथ-पिंडिककी दीक्षा, नवकर्म, अग्रासन अपिंडके योग्य व्यक्ति, तित्तिर जातक, जेतवन-स्वीकार (१) अनाथपिडिककी दीक्षा ८५८ ८:० (३) अग्रासन-अग्रपिंड (८) तितिर जातक (५) वंदनाका क्रम ३. श्रावस्ती (६) जनवन-म्बीकार ६४. विहारकी चीजोंके उपयोगका अधिकार, आसन ग्रहणके नियम ४६५ (१) विहारकी चीजोंक उपभोगमें क्रम (२) महार्घ गय्याका निषेध ८६६ (३) आसन देना लेना (८) सांघिक विहार (५) गयन-आसन-ग्रहापक ४६८ (६) एकका दो स्थान लेना निपिद्ध (७) एक आसन पर बैठना ४९९ ५. विहार और उसके सामानका बनवाना, बाँटने योग्य वस्तुयें, वस्तुओंका हटाना या परिवर्तन, सफाई (१) सांघिक वस्तु (२) पाँच अ-देय ४. कीटागिरि ४७१ (३) पाँच अ-विभाज्य ५. पालवी ४७२ (४) नवकर्म ४७२ (५) विहारके सामानका हटाना (६) वस्तुओंका परिवर्तन (७) आसन, भीतको साफ रखना ६६. संघके बारह कर्मचारियोंका चुनाव ४४४ ई. राजगृह ४७४ (१) भक्त-उद्देशक (२) गयनासनप्रज्ञापक (३) भांडागारिक (४) चीवर-प्रतिग्राहक (५) चीवर-भाजक ४७० 230 " ४५७ 11 11 " ४५८ ४७४ 1) " ४५८ "