पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/३७५

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३१८ ] ३-महानग्ग o "आवुसो! यह भिक्षु झगळालू है, आओ, हम इसका तर्जनीय कर्म करें।' वह अधर्मसे वर्ग हो ना तर्जनीय कर्म करते हैं। वहाँका रहनेवाला संघ विवाद करता है-(क) 'अवर्ममे वर्ग कर्म है; (ब नहीं किया क र्म है, बुरा किया कर्म है, फिर करने लायक कर्म (=न्याय) है।' भिक्षुओ! वहाँ जित भिक्षुओंने ऐसे कहा--'यह अधर्ममे वर्ग कर्म है' (वह धर्मवादी नहीं हैं); किन्तु जिन भिक्षुओं ऐसे कहा-'(यह) न किया कर्म है, बुग किया है कर्म, फिर करने लायक कर्म है। वहाँ ये भिक्षु ब. वादी (=न्यायके पक्षपाती) हैं। 375 २-"o अधर्मसे समग्र कर्म० 1 376 ३-"० धर्मसे वर्ग कर्म० । 377 ४-"० धर्माभाससे वर्ग कर्मः। 378 ५--"० धर्माभाससे समग्र कर्म० । 379 वह अधर्मसे समग्र हो उसका तर्जनीय कर्म करते हैं। वहाँका रहनेवाला मंत्र विचार करता है-(क) 'अधर्मसे वर्ग कर्म है; (ख) नहीं किया कर्म (=न्याय) है, बुरा किया वनं है. फिर करने लायक कर्म है। भिक्षुओ! वहाँ जिन भिक्षुओंने ऐसे कहा-'यह अधर्मसे वर्ग कर्म है (बर धर्मवादी नहीं हैं); (किन्तु) जिन भिक्षुओंने ऐसे कहा-'(यह) न किया कर्म है, बुरा किया करें है, फिर करने लायक कर्म है।' वहाँ ये भिक्षु धर्मवादी हैं 1380 ०२ २५-"० वह धर्माभाससे वर्ग हो उसका तर्जनीय कर्म करते हैं । तब वहाँ रहनेवाला मंत्र विवाद करता है="(क) (यह) धर्माभाससे वर्गका कर्म है; (ख) नहीं किया कर्म है, बुरा क्रिया करें है, फिर करने लायक कर्म है।' भिक्षुओ! वहाँ जिन भिक्षुओंने ऐसे कहा-'(यह) धर्माभाससे वर्गा कर्म है' (वह धर्मवादी नहीं है); (किन्तु) जिन भिक्षुओंने ऐसे कहा-' (यह) नहीं किया कर्म है- फिर करने लायक कर्म है', (वहाँ ये भिक्षु धर्मवादी हैं)।" 400 (२) नियस्स कर्म १-“भिक्षुओ! यहाँ एक भिक्षु मूर्ख० २ प्रतिकूल गृहस्थ संसर्गसे युक्त होता है। यदि वहा भिक्षुओंको ऐसा होता है-'. आओ हम इसका नि य स्स कर्म करें।' वह अधर्मसे वर्ग हो उसका नियम कर्म करते हैं। वहाँका रहनेवाला संघ विवाद करता है-(क) 'अधर्मसे वर्ग कर्म है । (ख) नहीं किया कर्म है, बुरा किया कर्म है, फिर करने लायक कर्म है।" 401 o 1425 (३) प्रव्राजनीय कर्म १–“यहाँ एक भिक्षु कुलदूपक (और) दुराचारी होता है। वहाँ यदि भिक्षुओंको रोग होता है-'० २ आओ हम इसका प्रजाजनीय कर्म करें।' वह अधर्मसे वर्ग हो उसका प्रजाजनीय व करते हैं। वहाँका रहनेवाला संघ विवाद करता है-'(क) अधर्मसे वर्ग कर्म है। (ख) नहीं रिश कर्म है, बुरा किया कर्म है, फिर करने लायक कर्म है।"4261 ०२ 1450 (४) प्रतिसारणीय कर्म १-"भिक्षुओं ! यहाँ एक भिक्ष गृहस्थोंका आक्रो श, प रि वास करता है । वहा या भिक्षुओंको ऐसा होता है-०२ आओ हम इसका प्रति सारणीय कर्म करें।' वह अधर्मने वर्ग है' १'तर्जनीय कर्म' की तरह यहाँ माफोके लिए भी दुहराना चाहिये। २ तर्जनीय कर्म' की तरह यहाँ भी दुहराना चाहिये।