९९७१ ] दंडोंके संशोधन [ ३१९ कर्म उसका प्रतिसार करते हैं। वहाँका रहनेवाला संघ विवाद करता है—(क) अधर्मसे वर्ग कर्म है।' (ख) नहीं किया कर्म है, बुरा किया कर्म है, फिर करने लायक कर्म है।"० ° 451-475 (५) उत्तेपणीय कर्म क. “(१) भिक्षुओ! यहाँ एक भिक्षु आपत्ति करके उस आपत्तिको देखना नहीं चाहता। वहाँ यदि भिक्षुओंको ऐसा होता है-०१ आओ हम आपत्ति न देखनेसे इसका उत्क्षेपणीय कर्म करें।' वह अधर्मसे वर्ग हो उसका प्रतिसारणीय कर्म करते हैं । वहाँका रहनेवाला संघ विवाद करता है- '(क) अधर्मसे वर्ग कर्म है । (ख) नहीं किया कर्म है, बुरा किया कर्म है, फिर करने लायक कर्म है।"476 ०२ 1500 ख. “(१) भिक्षुओ! यहाँ एक भिक्षु आपत्ति करके आपत्तिका प्रतिकार नहीं करना चाहता। वहाँ यदि भिक्षुओंको ऐसा होता है-०३ आओ हम आपत्तिका प्रतिकार न करनेसे इसका उत्क्षेपणीय कर्म करें।' वह अधर्मसे वर्ग हो आपत्तिका प्रतिकार न करनेके लिये उसका उत्क्षेपणीय कर्म करते हैं वहाँका रहनेवाला संघ विवाद करता है—(क) अधर्मसे वर्ग कर्म है । (ख) नहीं किया कर्म है, वरा किया कर्म है, फिर करने लायक कर्म है ।' 501 । ०" | 525 ग. "(१) भिक्षुओ! यहाँ एक भिक्षु बुरी धारणाको छोळना नहीं चाहता । वहाँ भिक्षुओंको ऐसा होता है-०५ आओ हम बुरी धारणा न छोळनेके लिये इसका उत्क्षेपणीय कर्म करें।' वह अधर्मसे वर्ग हो बुरी धारणा न छोळनेके लिये उसका उत्क्षेपणीय कर्म करते हैं । वहाँका रहनेवाला संघ विवाद करता है-'(क) अधर्मसे वर्ग कर्म है, (ख) नहीं किया कर्म है, बुरा किया कर्म है, फिर करने लायक कर्म है।' यहाँ ये भिक्षु धर्मवादी हैं । ० 1526 (२५) "० वह अधर्मसे वर्ग हो उसका उत्क्षेपणीय कर्म करते हैं। तव वहाँ रहनेवाला संघ विवाद करता है—(क) (यह) अधर्मसे वर्गका कर्म है; (ख) नहीं किया कर्म है, बुरा किया कर्म है, फिर करने लायक कर्म है ।' भिक्षुओ! वहाँ जिन भिक्षुओंने ऐसे कहा-'अधर्मसे वर्गका कर्म है' (वह धर्मवादी नहीं है); (किन्तु) जिन भिक्षुओंने ऐसे कहा-'(यह) नहीं किया कर्म है, फिर करने लायक कर्म है' (वहाँ ये भिक्षु धर्मवादी हैं) ।" 550 gu-नियम-विरुद्ध दण्डकी माझीका संशोधन (१) तर्जनीय-कर्मकी माफ़ो -"भिक्षुओ! यहाँ एक भिक्षका संघने तर्जनीय-कर्म किया है, (तब वह) ठीकसे रहता है। तर्जनीय-कर्मकी माफ़ी चाहता है। वहाँ भिक्षुओंको ऐसा होता है-'आओ हम इसके तर्जनीय-कर्मको माफ़ करें।' अधर्मसे वर्ग हो वह उसके तर्जनीय कर्मको माफ़ करते हैं। वहाँ रहनेवाला संघ विवाद करता है—(क) अधर्मसे वर्ग कर्म है; (ख) नहीं किया कर्म है, बुरा किया कर्म है, फिर करने लायक; .. - 9 ५'तर्जनीय कर्म'की तरह यहाँ माफ़ीके लिये भी दुहराना चाहिये । २'तर्जनीय कर्म'की तरह ही यहाँ भी वाक्योंकी योजना समझो। देखो पृष्ठ ३१४ (ख)। ४'तर्जनीय कर्मके संशोधन'की तरह (पृष्ठ ३१७) यहाँ भी नम्बर २५ तक समझना चाहिए। "देखो पृष्ठ ३१४॥ देखो पृष्ठ ३१५। 'देखो पृष्ठ ३१५-१६ । 'तर्जनीय कर्मके संशोधनको तरह यहाँ भी नम्बर २ तक समझना चाहिये।
पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/३७६
दिखावट