पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/३७८

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९१७५ ] दंडोंके संशोधन [ ३२१ णीय कार्य किया है । ०१ वह अधर्मसे वर्ग हो आपत्तिका प्रतिकार न करनेके लिये किये गये उसके उत्क्षेपणीय कर्मको माफ़ करते हैं। वहाँका रहनेवाला संघ विवाद करता है-0106761 ०१ 700 ग. “(१) भिक्षुओ! यहाँ एक भिक्षुका संघने बुरी धारणा न छोळनेके लिये उत्क्षेपणीय कर्म किया है। वह अधर्मसे वर्ग हो बुरी धारणा न छोळनेके लिये किये गये उसके उत्क्षेपणीय कर्मको माफ़ करते हैं। वहाँका रहनेवाला संघ विवाद करता है--०1" 700 । ०२ चस्पेय्यक्खंधक समाप्त ॥३॥ 1724 ५ तर्जनीय कमको माफ़ीके संशोधनको तरह (पृष्ठ ३१७) यहाँ भी वाक्योंकी योजना समालो। देखो पृष्ठ ३१७ (ग)।