पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/४२७

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.. ४-चुल्लवग्ग [ २०१३ (=सेवा) नहीं करानी चाहिये; (४) भिक्षुओ ! भिक्षुणियोंका उपदेशक बनानेके प्रस्तावकी सम्मति नहीं स्वीकार करनी चाहिये (५) संघकी सम्मति मिल जानेपर भी भिक्षुणिओंको उपदेश नहीं देना चाहिये; (६) जिस आपत्ति (अपराध) के लिये संघने परिवास दिया है, उस आपत्तिको नहीं करनी चाहिये; (७) या वैसी दूसरी (आपत्ति) को नहीं करना चाहिये; (८) या उससे बुरी (आपत्ति) को नहीं करना चाहिये; (९) कर्म=न्याय, फैसला') की निंदा नहीं करनी चाहिये (१०) कर्मिकों (= फैसला करनेवालों) की निंदा नहीं करनी चाहिये; (११) प्रकृतात्म (=अदंडित) भिक्षुके उपोसथको स्थगित नहीं करना चाहिये; (१२) (०) की प्रवारणा स्थगित नहीं करनी चाहिये; (१३) वात बोलने लायक (काम ) नहीं करना चाहिये; (१४) अनुवाद (=शिकायत) को नहीं प्रस्थापित करना चाहिये; (१५) अवकाश नहीं कराना चाहिये; (१६) दोषारोपण (=चोदना) नहीं करनी चाहिये ; (१७) स्मरण नहीं कराना चाहिये ; (१८) भिक्षुओंके साथ सम्प्रयोग (=मिश्रण) नहीं करना चाहिये । "भिक्षुओ ! पारिवासिक भिक्षुको अदंडित भिक्षुके सामने (१९) नहीं जाना चाहिये; (२०) न सामने बैठना चाहिये; (२१) संघका जो आसनका सामान; शय्याका सामान, विहारका सामान है, उसे देना चाहिये ; और उसे इस्तेमाल करना चाहिये; (२२) भिक्षुओ ! पारिवासिक भिक्षु अदंडित भिक्षुको आगे चलनेवाला या पीछे चलनेवाला भिक्षु बना , गृहस्थोंके घरमें नहीं जाना चाहिये; (२३) और न आरण्यकके काम (=नियम) को लेना चाहिये; (२४) न पिंडपातिक (=केवल भिक्षा मांगकर ही गुजारा करनेवाले ) का ही नियम लेना चाहिये; (२५) न उसके लिये पिडपाँत (=भिक्षा) मँगवानी चाहिये; जिसमें कि वह उसके (=परिवास दिये जानेकी बातको) जान जायँ; (२६) भिक्षुओ। पारिवासिक भिक्षुको नई जगह जानेपर (अपने परिवासकी बातको) बतलाना चाहिये; (२७) नवा- गन्तुक (भिक्षु)को बतलाना चाहिये; (२८) उपोसथमें बतलाना चाहिये; (२९) प्रवारणमें बतलाना चाहिये; (३०) यदि रोगी है तो दूत-द्वारा कहलाना चाहिये। "भिक्षुओ ! अदंडित भिक्षुके साथ होने या बिना होनेके अतिरिक्त (३१) पारिवासिक भिक्षुको भिक्षु सहित आवाससे भिक्षु रहित आवास में नहीं जाना चाहिये; (३२)० भिक्षु सहित आवासमे भिक्षु- रहित अन्-आ वा स (=जो आश्रम भिक्षुओंके रहनेका नहीं है), में नहीं जाना चाहिये; (३३) ० भिक्षु सहित आवाससे भिक्षु रहित आवास या अन्-आवास में नहीं जाना चाहिये; (३४) ० भिक्षु महित अनावाससे भिक्षु रहित आवासमें नहीं जाना चाहिये; (३५) ० भिक्षु सहित अन्-आवासने भिक्षु रहित अन्-आवास में नहीं जाना चाहिये ; (३६) ० भिक्षु सहित अन्-आवाससे भिक्षु रहित आवास या अन्-आवासमें नहीं जाना चाहिये; (३७) ० भिक्षुसहित आवास या अन्-आवाससे भिक्षु रहित आवासमें नहीं जाना चाहिये ; (३८) ० भिक्षु सहित आवास या अन्-आवाससे भिक्षु-रहित अनावासमें नहीं जाना चाहिये; ० (३९) भिक्षु सहित आवास या अनावाससे भिक्षु रहित आवास या अन्-आवागमें नहीं जाना चाहिये। "भिक्षुओ! अदंडित भिक्षुके साथ होने या विघ्न होनेके अतिरिक्त पारिवागिक भिक्षुको (४०) भिक्षु सहित आवामने जहाँ नाना आवामवाले भिक्षु रहते हैं उस भिक्षु सहित आवासमें नहीं जाना चाहिये ; (४१) ० भिक्षु सहित आवाससे जहाँ नाना आवासबाले भिक्षु रहते हैं उस अन्-आवागमें नहीं जाना चाहिये ; (४२)० भिक्षु सहित आवाममे,०१ भिक्षु महित आवास या अन्-आवागमें नहीं जाना चाहिये; (४३) भिक्षु सहित अन्-आबामने ० भिक्षु महित आवागमें नहीं जाना चाहिये । (४४) भिक्ष गहिन अन् आवाससे • भिक्ष सहित आवाममें भिक्षु महित अन्-आवाममें नहीं जाना चाहिये ; (८) भिक्ष १ “जहाँ नाना आवास वाले भिक्षु रहते हैं" यह इस पैरामें हर जगह जोडना चाहिये ।