पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/४५५

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४-शमथ-स्कन्धक १--धर्मवाद-अधर्मवाद । २--स्मृति-विनय आदि छ विनय । उनके मूल, भेद, नामकरण और शमन । ३--चार अधिकरण ६१-धर्मवाद-अधर्मवाद - 0 O १-श्रावस्ती (१) उस समय बुद्ध भगवान् श्रावस्तीमें अनाथपिडिकके आराम जेतवनमें विहार करते थे। उस समय षड् वर्गीय भिक्षु अनुपस्थित भिक्षुओंका भी तर्ज नी य क र्म, नि य स्स क र्म, प्र ब्रा ज नी य कर्म, प्रति सा र णी य कर्म-(यह) कर्म (=फैसला) करते थे। जो वह भिक्षु अल्पेच्छ (= निर्लोभ) ० थे, वह हैरान.. होते थे -०। तब उन भिक्षुओंने भगवान्से यह बात कही।-- "सचमुच भिक्षुओ! • ?" "(हाँ) सचमुच भगवान् ! • भगवान्ने फटकार कर धर्म-संबंधी कथा कह भिक्षुओंको संबोधित किया-- "भिक्षुओ! अनुपस्थित भिक्षुओंका तर्जनीय कर्म -(यह) कर्म नहीं करना चाहिये, जो करे उसे दुक्कटका दोष हो।" (२) अधर्मवादी व्यक्ति, अधर्मवादी बहुतसे व्यक्ति, अधर्मवादी संघ । धर्मवादी एक व्यक्ति, धर्मवादी बहुतसे व्यक्ति, धर्मवादी संघ । क. (१) (एक) अधर्मवादी (=नियमोंसे अनभिज्ञ) व्यक्ति (दूसरे) धर्मवादी व्यक्तिको समझावें, सुझावें, प्रेम करावें, अनुप्रेम करावें, दिखलावें, फिर दिखलावें—यह धर्म है, यह वि न य है, यह शास्ता (=बुद्ध) का शासन (=उपदेश) है। इसे ग्रहण करो, इसे (दूसरोंको) बतलाओ।' इस प्रकार यदि अधिकरण (=मुकदमा) शांत होवे, तो वह अधर्मसे, संमुखके विनयाभासमे शांत होगा। 2 (२) अधर्मवादी व्यक्ति बहुतसे धर्मवादियोंको समझावें ०१ ।। (३) अधर्मवादी व्यक्ति धर्मवादी संघको समझावें । (४) बहुतसे अधर्मवादी धर्मवादी व्यक्तिको समझा ० १ ।। (५) बहुतसे अधर्मवादी बहुतसे धर्मवादियोंको समझा। ०१16 (६) बहुतसे अधर्मवादी धर्मवादी संघको समझा ०५ 17 (७) अधर्मवादी संघ धर्मवादी व्यक्तिको समझा- ०१ । 8 १ 14 'देखो ऊपर (१)। ३९४ ]