६१-पाराजिक' (१-४) आयुष्मानो ! यह चार पाराजिक धर्म कहे जाते हैं :- (१) मैथुन १-जो भिक्षु भिक्षुओंके कायदा और नियमसे युक्त होते हुए भी, शिक्षाको बिना छोड़े, दुर्बलताको बिना प्रकट किये, अन्ततः पशुसे भी मैथुन-धर्मका सेवन करे, वह पाराजिक होता है =(भिक्षुओंके) साथ न रहने लायक होता है । (२) चोरी २-जो भिक्षु चोरी समझी जाने वाली किसी ऐसी वस्तुको बिना दिये ही ग्राम या अरण्यसे ग्रहण करे, जिसे (मालिकके) विना-दिये हुए ले लेनेसे राजा किसी व्यक्तिको चोर= स्तेन, मूर्ख, मूढ़ कहकर बाँधता, मारता या देश-निकाला देता है, तो वह भिक्षु पाराजिक होता है= (भिक्षुओंके) साथ न रहने लायक होता है । ४ १ पाराजिकोंके इतिहास और विस्तारके लिये देखो बुद्धचर्या पृष्ठ १४१-४६, ३०९-२२ । २ जिन अपराधोंके करनेसे भिक्षु भिक्षुपनसे हमेशाके लिये निकाल दिया जाता है वे पाराजिक कहे जाते हैं। ३ बुद्धधर्म (=शासन )में जो जो उपद्रव हुए, वह सब वजिपुत्तकों (=वज्जी गणके राजपुरुषों )को लेकर ही हुए । देवदत्तने भी वज्जिपुत्तकोंको अपने पक्षमें पा संघमें फूट डाली। भगवान्के निर्वाणके सौ वर्ष बाद भी इसी तरह 'इन्होंने ही धर्म और विनयके विरुद्ध शिक्षा देनी शुरू की । (-अट्ठकथा )। उस समय राजगृहमें वीस मासे (=मासक) का कार्षापण था। "यह पुराने नील कार्षापणके बारेमें है, दूसरे रुद्रदामक आदिके ( कार्पापणों ) के बारे में नहीं (-अट्ठकथा ।) ५ अन्तर-समुद्रमें एक भिक्षुने सुन्दर आकारके एक नारियलके फलको पा, खरादपर शंखके कटोरे सा मनोरम पीनेका कटोरा बना, वहीं रखकर चैत्य गिरि (=मिहिन्तले, लङ्का ) चला गया । तब दूसरा भिक्षु अन्तर-समुद्रमें जा उसी विहारमें निवास करते, उस कटोरे (=थालक )को देख चोरीके ख्यालसे ले ( वह ) भी चैत्य गिरिको ही गया। उस कटोरेमें खिचड़ी पीते समय देखकर कटोरेके स्वामीने कहा-यह कहाँ तुम्हें मिला ? अन्तर-समुद्रप्से लाया हूँ। उसने-यह तुम्हारा नहीं है, चोरीसे तुमने लिया है—(कह ) संघमें पेश किया । वहाँ निर्णय न होनेपर वह (दोनों) महाविहार (अनुराधपुर, लङ्का ) गये । वहाँ भेरी बजवा महाचैत्यके पास ( संघ )को एकत्रित कर मुकदमा देखना शुरू किया। विनय-धर स्थविरोंने ( संघसे ) निकाल देनेकी व्यवस्था दी । उस बैठकमें आभिधर्मिक गोध स्थविर नाम एक विनयमें निपुण ( भिक्षु ) थे । उन्होंने यह कहा-'इसने इस कटोरेको कहाँ चुराया ?'--'अन्तर-समुद्र में !' 'वहाँ' इसका क्या [ ६१।१-२ चढ़ा,
पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/५१
दिखावट