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पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/५४२

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६६।९ ] संघके कर्मचारी [ ४७५ "ख. अनुश्रा व ण। "ग. धा र णा-'संघने इस नामवाले भिक्षुको भक्त-उद्देशक चुन लिया। संघको पसंद है, इसलिये चुप है-ऐसा मैं इसे धारण करता हूँ।" तव भक्त-उद्देशक भिक्षुओंको यह हुआ-'कैसे भक्त (-भोज) का उद्देश (=वितरण) करना चाहिये ?' भगवान्से यह बात कही।- "०अनुमति देता हूँ, शलाका' (=सलाई) से या पट्टिका (=पटिया) से उपनिबंधन (=लिख) कर, ओपुंछन (रला) कर उद्देश करने (चिट्ठी डालने) की।" 169 (२) शयनासन-प्रज्ञापक उस समय संघका श य न-आ स न-प्रज्ञा प क (=आसन बाँटनेवाला) न था।०- "भिक्षुओ ! अनुमति देता हूँ, पाँच बातोंसे युक्त भिक्षुको शयन-आसन-प्रज्ञापक चुननेकी-- ०३।" 170 (३) भांडागारिक उस समय संघका भंडा गा रि क (=भंडारी) न था 10- '०अनुमति देता हूँ, पाँच वातोंसे युक्त भिक्षुको भंडागारिक चुननेकी 171 (४) चीवर-प्रतिग्राहक उस समय संघका ची व र-प्रति ग्रा ह क (=दान मिले चीवरोंका रखनेवाला) न था10- "०अनुमति देता हूँ, पाँच वातोंसे युक्त भिक्षुको चीवर-प्रतिग्राहक चुननेकी-०२ ।" 172 (५) चोवर-भाजक उस समय संघका चीवर-भाजक (=चीवर वितरण करनेवाला) न था ।- 'अनुमति देता हूँ, पाँच वातोंसे युक्त भिक्षुको चीवर-भाजक चुननेकी-०२ ।" 173 उस समय संधवा यवागू-भाजक (=खिचळी बाँटनेवाला) न था।०- (६) यवागू-भाजक • अनुमति देता हूँ, पांच बातोंसे युक्त भिक्षुको यवागू-भाजक चुननेकी-०२।" 174 उस समय संघका फल-भाजक (=फल वॉटनेवाला) न था।०- (७) फल-भाजक " अनुमति देता हूँ, पाँच वातोंसे युक्त भिक्षुको फल-भाजक चुननेकी~०२।175 उस समय संघका खाद्य-भाजक (=खानेकी चीजोंका वाँटनेवाला) न था ।०- (८) खाद्य-भाजक "अनुमति देता हूँ, पांच बातोंसे युक्त भिक्षुको खाद्य-भाजक चुननेकी-०२ | 176 (९) अल्पमात्रक-विसर्जक उस समय संघको भंडारमें थोळासा (अल्पमात्रक) सामान मिला था 10- 1 'वृक्षरे सारको टालाका या दांस या तालपत्रको पट्टिकापर भोज देनेवालेका नाम लिख कर, सरालाकाओंको उपर नीचे हिला एकमें मिलाकर... स्थविरके आसनसे ही देना शुरू करना चाहिये (-अट्टकथा)। भवत-उद्देशकी तरह यहां भी (पृष्ठ ४७४) ।