पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/५५८

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७२।१० ] देवदत्तके पतनके कारण [ ४९१ "अच्छा हो भन्ते ! फूट डालनेवाले अनुयायी भिक्षु फिर उपसंपदा पावें।" "नहीं, सारिपुत्र! मत तुझे रुचे फूटके अनुयायी भिक्षुओंकी उपसम्पदा । तो सारिपुत्र! तू फूटके अनुयायी भिक्षुओंको थुल्लच्चयकी देशना (=क्षमापन) करा। सारिपुत्र! कैरो देवदत्त तेरे साथ पेश आया?" "जैसे भन्ते ! भगवान् वहुत रात तक भिक्षुओंको धर्म कथा द्वारा समुत्तेजित संप्रहपित ० कर मुझको आना देते हैं—'सारिपुत्र! चित्त और शरीरके आलस्यसे रहित है भिक्षुसंघ। सारिपुत्र! तू भिक्षुओंको धार्मिक कथा कह । पीठ मेरी अगिया रही, सो मैं लम्बा पलूंगा।' ऐसे ही भन्ते ! देवदत्तने भी मेरे साथ किया।" हाथी और गीदळकी कथा तब भगवान्ने भिक्षुओंको संबोधित किया- "भिक्षुओ! पूर्वकालमें जंगलमें एक महासरोवर (था, जिसके) आश्रयसे हाथी (नाग) रहते थे। वह महासरोवरमें घुसकर सूंळसे भसींड और मृणालको निकाल, अच्छी तरह धो, बिना कीचळका कर खाते थे। वह उनके बलके लिये भी सौन्दर्यके लिये भी होता था। उनके कारण मरण या मरण- समान दुःखको न प्राप्त होते थे। भिक्षुओ! उन्हीं हाथियोंकी नकल करते थे तरुण स्यारके बच्चे। वह उस सरोवरमें घुस मूळसे भसींड और मृणालको निकाल । अच्छी तरह धोये बिना, बिना वीचळका किये बिना खाते थे । वह उनके बलके लिये, सौन्दर्यके लिये नहीं होता था उनके कारण वह मरण या मरण समान दुःखको प्राप्त होते थे। ऐसे ही भिक्षुओ। देवदत्त मेरी नकल कर कृपण (हो) मरेगा।-- "धरती खोद नदीमें धो भसीड खाते महावराहकी भाँति कीचड़ खाते स्यारकी भाँति मेरी नकल कर (वह) कृपण मरेगा ।। (६)" ।। (९) दूत के लिये अपेक्षित गुण "भिक्षुओ! आठ वातोंसे युक्त भिक्षु दूत भेजने लायक है। कौनसे आठ?—यहाँ भिक्षु (१) श्रोता होता है; (२) श्रावयिता (=सुनानेवाला); (३) उद्गृहीता (=ग्रहण करनेवाला); (४) धारयिता ( स्मरण रखनेवाला); (५) विज्ञाता; (६) विज्ञापयिता; (७) हित अहितमें युगल (-चतुर); और (८) कलहकारक नहीं होता। भिक्षुओ! इन आठ बातोंसे युक्त भिक्षु दूत भजन लायक है । 4 "भिक्षुओ ! आठ वातोंसे युक्त होनेने सारिपुत्र दूत भेजने लायक हैं । कौनसे आठ ?--यहाँ भिक्षुओ ! सारिपुत्र (१) श्रोता है; ० (८) हित अहितमें कुशल है ।। "जो जनवादी परिपको पा पीडित नहीं होता। (किनी) दचनको न होता है, और न भाषणको ढाँकता है ।। (७) ।। दिना बतलाये कहता है, पूछनेपर कोप नहीं करता। बाद दा भिक्षु है. तो वह दूत बनकर जाने लायक है" ॥(८)। (१०) देवदत्तक पतनके कारण हो : आट अनहोने अभिभूतपदिन-चिन (टिप्न चिन) हो देवदन र भारतीय समकर (नरकने रहनेवाला) विकिन्नाके अयोग्य है। कानने आठ?- 1ो' देदन सामने अभिभूत-दिनविन ० चिकिन्नाके अयोग्य है; (२) अलामने०; (5

(:) : (५) मत्वारने () अनवारन०; (:) पापच्छता (=बद-