सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/६०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

11 o O o 11 O " o 11 o o ५३८ ] ४-चुल्लवग्ग [ १०६।४ भिक्षुणियोंको अरण्यमें नहीं वास करना चाहिये, ° दुक्कट " 93 (२) भिक्षुणी-विहार बनवाना १-उस समय एक उपासकने भिक्षुणी-संघको उद्दो सि त (छप्पर) दिया। भगवान्से यह बात कही।- अनुमति देता हूँ, उद्दोसितकी ।" 94 २-उद्दोसित ठीक नहीं होता था।- अनुमति देता हूँ उपश्रय (=भिक्षुणी-आश्रम) की।"95 ३-उपश्रय ठीक नहीं होता था 10- • अनुमति देता हूँ, नवकर्म (=इमारत बनानेका काम)की।"96 ४-नवकर्म ठीक नहीं होता था 10- अनुमति देता हूँ, व्यक्तिगत भी करनेकी।"97 (३) गर्भिणी प्रव्रजिताको सन्तानका पालन १-उस समय एक आसन्नगर्भा स्त्री भिक्षुणियोंमें प्रव्रजित हुई थी, प्रबजित होनेपर उसे गर्भोत्यान (=प्रसव काल) हुआ। तब उस भिक्षुणीको यह हुआ-मुझे इस बच्चेके साथ कैसा करना चाहिये ? भगवान्से यह बात कही।- अनुमति देता हूँ, जब तक वह बच्चा सयाना हो जाये तब तक पोसनेकी।"98 २–तव उस भिक्षुणीको यह हुआ-मैं अकेली रह नहीं सकती, और दूसरी भिक्षुणी वच्चेके साथ नहीं रह सकती, कैसे मुझे करना चाहिये ?' o- अनुमति देता हूँ, उस भिक्षुणीको साथिन होनेके लिये एक भिक्षुणीको चुनकर देनेकी। 99 "और भिक्षुओ! इस प्रकार चुनना (=संमंत्रण करना) चाहिये- क.ज्ञप्ति-"आर्या संघ मेरी सुने, यदि संघ उचित समझे, तो संघ इस नामवाली भिक्षुणीका साथी होनेके लिये इस नामकी भिक्षुणीको चुने।—यह सूचना है। ख. अनुश्रा व ण। ग. धा र णा-"संघने इस नामवाली भिक्षुणीकी साथिन होनेके लिये इस नामवाली भिक्षुणीको चुन लिया । संघको पसंद है, इसलिये चुप है—ऐसा मैं इसे धारणा करती हूँ।" ३–तव उस साथिन भिक्षुणीको यह हुआ-मुझे इस बच्चेके साथ कैसे करना चाहिये ।- ० एक घरमें रहना छोळ, अनुमति देता हूँ, जैसे दूसरे पुरुपके साथ वर्तना चाहिये, वैसे उस बच्चेके साथ वर्तनेकी।" 100 (४) मानत्त्वचारिणीको साथिन देना उस समय एक भिक्षुणी गुरु - धर्म का दोप करके मानत्त्वचारिणी हुई थी। तव उस भिक्षुणीको यह हुआ—'मैं अकेली नहीं रह सकती, और दूसरी भिक्षुणी मेरे साथ नहीं वास कर सकती, मुझे कैसे करना चाहिये ?' भगवान्से यह बात कही।- अनुमति देता हूँ, उस भिक्षुणीकी साथिन होनेके लिये एक भिक्षुणीको चुनकर देनेकी। 101 "और भिक्षुओ! इस प्रकार चुनना चाहिये- " 0 10 11 ! २ १ देखो आठ गुरु-धर्म चुल्ल १०६१।२ पृष्ठ ५२०-२१ । २ऊपर जैसे ही।