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पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/६२१

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1 ४-चुल्लवग्ग [?:9717 ही प्रश्नमें सारी रात बिता सकते हैं । अब आयुप्मान् रेवत अन्नेवासी स्वरभाणक (-स्वरसहित सूत्रों को पढ़नेवाले) भिक्षुको (सस्वर पाठके लिये) कहेंगे । स्वर-भणन समाप्त होनेपर, आयुप्मान् रेवतके पास जाकर इन दश वस्तुओंको पूछो।" "अच्छा भन्ते !" तव आयुप्मान् रेवनने अन्तेवासी (=गिप्य) स्वरभापणक भिक्षुको आजा ( -अध्येपणा) की। तव आयुष्मान् य श उस भिक्षुके म्बरभणन समाप्त होनेपर, जहाँ आयुप्मान् रेवत थे, वहाँ गये। जाकर रेवतको अभिवादन कर एक ओर बैठे । एक ओर बैठ आयुष्मान् यगने आयुग्मान् रेवती कहा- (१) "भन्ते ! शृंगि-लवण-कल्प विहित है ?" "क्या है आवुस ! यह शृंगि-लवण-कल्प ?" "भन्ते ! सींगमें नमक रखकर पास ग्यन्वा जा सकता है, कि जहाँ अलोना होगा, लेकर खायेंगे ? क्या यह विहित है ?" "आवुम ! नहीं विहित है।" (२) "भन्ते ! द्वयंगुल-कल्प विहित है ?" "क्या है अबुस ! यंगुल-कल्प ?" "भन्ते ! (दोपहरको) दो अंगुल छायाको बिताकर भी विकालमें भोजन करना क्या विहित है ?" "आवुस नहीं विहित है।" (३) “भन्ते ! क्या नामान्तर-कल्प विहित है ?" "क्या है आवुस ! नामान्तर-कल्प "भन्ते ! भोजन कर चुकनेपर, छक लेनेपर गाँवके भीतर भोजन करने जाया जा सकता है ?" "आवुस ! नहीं. . है।" (४) "भन्ते ! क्या आवास-कल्प विहित है ?" “क्या है आवुस ! आवास-कल्प ?" "भन्ते ! 'एक सीमाके बहुतमे आवासोंमें उपोसथको करना' क्या विहित है ? "आवुस ! नहीं विहित है । (५) "भन्ते ! क्या अनुमति-कल्प विहित है ?" "क्या हैं आवुस ! अनुमति-कल्प ?" "भन्ते ! (एक) वर्ग के संघका (विनय-) कर्म करना, 'यह ख्याल करके, कि जो भिक्षु (पीछे) आवेंगे, उनको स्वीकृति दे देंगे, क्या यह विहित है ?" "आवुस ! नहीं विहित है।" (६) "भन्ते ! क्या आचीर्ण-कल्प विहित है ?" "क्या है आवुस ! आचीर्ण-कल्प ?" "भन्ते ! 'यह मेरे उपध्यायने आचरण किया है, यह मेरे आचार्यने आचरण किया है (ऐसा समझकर) किसी वातका आचरण करना, क्या विहित है ?" "आवुस ! कोई कोई आचीर्ण-कल्प विहित हैं, कोई कोई. . .अविहित हैं। (७) "भन्ते ! अमथित-कल्प विहित है ?" "क्या है आवुस ! अमथित-कल्प ?" "भन्ते ! जो दूध दूध-पनको छोळ चुका है, दहीपनको नहीं प्राप्त हुआ है, उसे भोजन कर चुकनेपर, छक लेनेपर, अधिक पीना क्या विहित है ?" "आवुस ! नहीं विहित ।" (८) "भन्ते ! जलोगी-पान विहित है ?" "क्या है आवुस ! जलोगी ?" "भन्ते ! जो सुरा अभी चुवाई नहीं गई है, जो सुरापनको अभी प्राप्त नहीं हुई है। उसका पीना क्या विहित है ?” "आवुस ! विहित नहीं है।" (९) "भन्ते ! अदशक निपीदन (=विना मगजीका आसन) विहित है ?" "आवुस ! नहीं विहित है।" (१०) “भन्ते ! जातरूप-रजत (=सोना चाँदी) विहित है ?" "आवुस ! नहीं विहित है।"