पृष्ठ:विनय पिटक.djvu/९२

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३-निस्सग्गिय-पाचित्तिय ६३।१३-२० ] [ ४९ (५) कठिन चीवर और चीवर १३-चीवरके तैयार हो जानेपर, कठिन ( चीवर )के मिल जानेपर अधिकसे अधिक दस दिन तक, अतिरिक्त (=पाँचसे अतिरिक्त ) चोवरको रखना चाहिये । इस अवधिका अतिक्रमण करनेपर निस्सग्गिय-पाचित्तिय है। १४-चीवरके तैयार हो जानेपर कठिनके मिल जानेपर भिक्षुणियोंकी सम्मतिके विना यदि भिक्षुणी एक रात भी पाचों चीवरोंसे रहित रहे तो। १५-चीवरके तैयार हो जानेपर, कठिनके मिल जानेपर यदि भिक्षुणीको विना समयका चीवर (का कपड़ा) प्राप्त हो तो इच्छा होनेपर भिक्षुणी उसे ग्रहण कर सकती है। ग्रहण करके शीघ्र हो दस दिन तक ( चीवर ) बना लेना चाहिये । यदि उसको पूरा नहीं करे तो प्रत्याशा होने पर कमीको पूर्ति के लिये एक मास भर भिक्षुणी उसे रख छोड़ सकती है । प्रत्याशा होनेपर इससे अधिक यदि रख छोड़े तो । १६-जो कोई भिक्षुणी किसी अज्ञातेक गृहस्थ या गृहस्थिनीसे, खास अवस्थाके सिवाय, चीवर देने के लिये कहे तो ० । खास अवस्था यह है -जब कि भिक्षुणीका चोवर छिन गया हो या नष्ट हो गया हो । १७-उसो (भिनुणी )को यदि अज्ञातक गृहस्थ या गृहस्थिनियाँ यथेच्छ चोवर प्रदान करें तो उन चीवरों से अपनी आवश्यकतासे एक चीवर कम लेना चाहिये । यदि अधिक ले तो । १८-उसी भिक्षुणीके लिये ही यदि अज्ञातक गृहस्थ या गृहस्थिनियोंने चीवर के लिये धन तैयार कर रखा हो—इस चोवरके धनसे चीवर तैयारकर मैं अमुक नामवाली मितणीको चोवर-दान करूँगा । वहाँ यदि वह भिक्षुणी प्रदान करनेसे पहिले ही जाकर अच्छेको इच्छासे ( यह कहकर ) चीवरमें हेरफेर कराये-अच्छा हो आयुष्मान् मुझे इस चीवरके धनसे ऐसा चीवर वनवाकर प्रदान करें, तो०। १९--उसी भिक्षुणीके लिये दो अज्ञातक गृहस्थ या गृहस्थिनियोंने एक एक चोवर के लिये धन तैयार कर रखा हो-हम चोवरोंके इन धनोंसे एक एक चीवर वनवाकर अमुक नामवाली भितणीको चोवर-दान करेंगे। वहाँ यदि वह भिक्षुणी प्रदान करनेसे पहिलेही अच्छे- की इच्छासे ( यह कहकर ) चीवरमें हेरफेर कराये-अच्छा हो अायुप्मानो ! मुझे इन प्रत्येक चीवरके धनसे दोनों मिलाकर ऐसा ( एक ) चीवर वनवाकर प्रदान करें; तो ० । २०-उसो भिक्षणीके लिये राजा, राज-कर्मचारी, ब्राह्मण या गृहस्थ चीवरके लिये ( यह कहकर ) धनको दूत द्वारा भेजें-इस चीवरके धनसे चोवर तैयारकर अमुक मामकी भिजणीको प्रदान करो। और वह दूत उस भिक्षुणी के पास जाकर यह कहे- भगिनी ! आर्याय लिये यह चोवरका धन आया है । इस चीवरके धनको धार्या स्वीकार करें। नो उस भिक्षुणीको उस दृतसं यह कहना चाहिये-आबुस ! हम चीवरके धनको नहीं लेती। समयानुसार विहित चीवरहीको हम लेती हैं। यदि वह दूत उस भिक्षुणीको एसा कह-यया यार्याका कोई काम-काज करनेवाला है ?-तो उस भिक्षुणीको भाराम-नवय. या उपासक-किसी काम-काज करनेवालको वतला देना चाहिये- पादुन्न । यह निहरिणचोंका कामकाज करनेवाला है। यदि वह दृत उस कामकाज करने पालको नमनाकर जम भिडणीके पास आकर यह कह-भगिनी ! आर्यान जिस काम दाज करनेवाले को बतलाया. में मैंने समझा दिया । आर्य समयपर जायें । वद्द आपको