पृष्ठ:विवेकानंद ग्रंथावली.djvu/११४

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करती आ रही थी। अर्थात् दार्शनिक और धर्मों का तुलनात्मक रीति से अध्ययन करनेवाले ऐसे लोग होते आए हैं, जिनका यह प्रयत्न रहा है और अब भी है कि यह सांप्रदायिक झगड़े और विवाद सब शांत हो जायँ। कुछ देशों के संबंध में तो इन प्रयत्नों से काम चल गया है, पर सारे संसार के संबंध में ये सफलीभूत नहीं हुए।

कुछ ऐसे भी धर्म हैं जो बहुत प्राचीन काल से चले आ रहे हैं; जिनमें वह भाव है कि सब धार्मिक संप्रदाय रहने दिए जायँ; या यह कि सब धार्मिक संप्रदायों के भीतर कुछ अर्थ वा उत्तम विचार छिपे हैं। अतः संसार की भलाई के लिये उनकी आवश्यकता है और उन्हें सहायता देनी चाहिए। आधुनिक समय में भी वही भाव फैल रहा है और यथा समय उसको काम में लाने का उद्योग हो रहा है। इन प्रयत्नों का फल सदा हमारे इच्छानुकूल नहीं हो रहा है कि उनसे पूरा काम चल जाय। नहीं, दुःख की बात तो यह है कि कभी कभी यह देखा जाता है कि हमारा झगड़ा और भी बढ़ रहा है।

अब सिद्धांत की बात को अलग कर दीजिए और विवेक ही से देखिए तो जान पड़ेगा कि सभी बड़े बड़े धर्मों में बहुत बड़ी जीवनदायिनी शक्ति है। कुछ लोग यह कहेंगे कि हो, पर हमें इसका ज्ञान तो नहीं है। पर आपके न जानने से होता क्या है। यदि कोई यह कहे कि मुझे इसका ज्ञान नहीं कि संसार में क्या हो रहा है अतः संसार की बातें हैं ही नहीं, तो यह उसका