पृष्ठ:विवेकानंद ग्रंथावली.djvu/३२०

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तक सब यहीं देख पड़ते हैं। कारण यह है कि उनका बनानेवाला वही है। यदि वह और भी अज्ञानी हो और भडरियों ने उसे नरक की बातों से डरा दिया हो और नाना प्रकार की यातनाओं का भय दिखला रखा हो तो मरने पर उसे यही लोक नरक देख पड़ेगा। जिसे जन्म लेना और मरना कहते हैं, वह है क्या? केवल स्वप्न के दृश्य का बदलना है। न तो आप हिलते हैं और न वह हिलता है जिस पर आप अपनी भावना का आरोप करते हैं। आप अचल निर्विकार हैं। आप आ जा कैसे सकते हैं? यह असंभव है कि आप सर्वव्यापक हों। आकाश अचल है। उसके ऊपर बादल आते जाते रहते हैं और हम समझते हैं कि आकाश चल रहा हैं। वैसे ही जब हम रेलगाड़ी पर सवार होते हैं तब हम समझते हैं कि किनारे के खेत चले जा रहे हैं। पर बात ऐसी नहीं होती; खेत नहीं चलते, किंतु चलती है रेलगाड़ी। आप जहाँ थे वही हैं। यह स्वप्न, यह बादल भागे जा रहे हैं। एक स्वप्न दूसरे स्वप्न के पीछे आता रहता है जिनमें लगाव नहीं। इस संसार में नियम वा लगाव तो कुछ है ही नहीं, पर हम समझ रहे हैं कि इसमें बहुत अधिक संबंध है। आप लोगों ने Alice in Wonderland नामक पुस्तक पढ़ी होगी। वह बच्चों के लिये बड़ी ही अद्भुत पुस्तक है जो इस देश में लिखी गई है। मैं तो उसको पढ़कर फड़क उठा। मैं बहुत दिनों से बच्चों के लिये ऐसी पुस्तक लिखना चाहता था। जिस बात से मुझे