पृष्ठ:विवेकानंद ग्रंथावली खंड 3.djvu/३६

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कमयोग
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चारण कह रहा था कि "राजकुमारी स्वयंबर में आज अपना पति वरण करेंगी।"

भारतवर्ष में राजकुमारियों की यह पति-वरण की एक पुरानी प्रथा थी। स्वभावत: उनमें से प्रत्येक के अपने भावी पति के विषय में कुछ विशिष्ट विचार होते थे; कोई चाहती थी कि वह सबसे सुन्दर हो, कोई कि वह सबसे विद्वान् हो, कोई कि वह सबसे सम्पत्तिवान् हो। राजकुमारी एक सिंहासन पर अत्यंत सज- धज के साथ ले जाई जा रही थी और चारण कहते जाते थे कि अमुक राजकुमारी अपना पति वरण करेंगी। पड़ोस के सभी राजकुमार अपनी सुन्दर-से-सुन्दर पोशाकें पहनकर वहाँ आये थे। कभी-कभी उनके चारण भी उनके गुणों का वर्णन करते जिससे राजकुमारी उन्हें पसन्द करे। चारों ओर देखती- सुनती जब उसे वे देख-सुनकर पसन्द न आते, तो वह अपने वाहकों को आगे बढ़ने के लिये कहती और तिरस्कृत प्रेमियों का फिर कोई ध्यान न रखा जाता। यदि उनमें उसे कोई पसन्द आ जाता, तो वह उसके गले में जयमाला डालकर उसे वरण करती।

जिस राज्य में वे दोनों राजा और संन्यासी आये थे, वहाँ एक ऐसा ही स्वयंवर हो रहा था। संसार की वह सब से सुन्दर राजकुमारी थी, और उसका पति राजा के देहांत होने पर राज्य का स्वामी होता। राजकुमारी की इच्छा थी कि वह सबसे सुन्दर पुरुष को वरण करे, किन्तु बहुत समय से उसे मनोनुकूल कोई